Sunday, June 15, 2025
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Aja Ekadashi 2024: कब रखा जाएगा अजा एकादशी का व्रत, जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

सनातन संस्कृति में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं और हर एकादशी का अपना एक विशेष महत्व है। भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जाना जाता है।

अजा एकादशी को सभी पापों को दूर करके अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्रदान करने वाली माना गया है। अजा एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजन-अर्चन करने पर साधक को कई बड़े तीर्थों के सेवन का पुण्यफल एक साथ मिल जाता है और भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा बरसती है।

शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की अजा एकादशी का प्रारम्भ 29 अगस्त को 1:19 (AM) बजे होगा और समापन 30 अगस्त को रात्रि 1:37 (AM) बजे होगा। इस साल अजा एकादशी का व्रत गुरुवार 29 अगस्त को रखा जाएगा। अजा एकादशी का व्रत करने वालों को सूर्योदय के बाद से पूजा अर्चना करनी चाहिए क्योंकि उस समय सिद्धि योग है। उत्तम मुहूर्त सुबह 5:58 बजे से लेकर सुबह 7:34 बजे तक है।

इसके अलावा सामान्य मुहूर्त सुबह 10:46 बजे से दोपहर 12:22 बजे तक है, वहीं लाभ-उन्नति मुहूर्त दोपहर 12:22 बजे से दोपहर 1:58 बजे तक और अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 1:58 बजे से अपरान्ह 3:34 बजे तक है। वहीं अजा एकादशी के व्रत का पारण शुक्रवार 30 अगस्त को सुबह 7:49 बजे से सुबह 8:31 बजे तक किया जा सकेगा।

अजा एकादशी व्रत पूजा विधि

सभी दु:खों को दूर करके सुख-सौभाग्य दिलाने वाले अजा एकादशी व्रत को करने के लिए साधक को एक दिन पहले से व्रत संबंधी नियम का पालन शुरु कर देना चाहिए, यानि एक दिन पूर्व से चावल नहीं खाना चाहिए और संयमित रहना चाहिए।

वहीं व्रत वाले दिन सुबह स्नान-ध्यान करने के बाद सूर्य नारायण को जल देने के बाद भगवान श्रीहरि विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा पीले पुष्प, पीले वस्त्र, पीले फल और पीली मिठाई चढ़ाकर करनी चाहिए। इसके बाद अजा एकादशी व्रत की कथा कहें और अंत में भगवान विष्णु को भोग लगाकर प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें।

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