दिल मेरा ‘भवि’ आज भी नादान है
ये तो मुझको ईश का वरदान है
नेकदिल ज्ञानी सभी बच्चे बनें
मेरे दिल का बस यही अरमान है
हम समझते हैं जिसे कुछ भी नहीं
लाता अक्सर वो बड़ा तूफ़ान है
होता अक्सर शख़्स वो शातिर बहुत
देखने में जो लगे नादान है
काश अनाथों को भी सब ख़ुशियाँ मिलें
उनके हक़ में क्यों नहीं भगवान है
-शुचि ‘भवि’