Tuesday, November 26, 2024
Homeखेललोकसभा चुनाव: आजमगढ़ में खिलेगा कमल या सपा की होगी वापसी!

लोकसभा चुनाव: आजमगढ़ में खिलेगा कमल या सपा की होगी वापसी!

लखनऊ (हि.स.)। काशी और अवध के मध्य की भूमि कहे जाने वाले आजमगढ़ की धरती ऋषि-मुनियों साहित्यकारों की धरती के नाम से जाना जाता है। जहां के प्रमुख स्थान देवल दत्ता, दुर्वासा आश्रम और चंद्रमा ऋषि आश्रम है। यह स्थान राहुल सांस्कृत्यायन, हरिऔध, लक्ष्मीनारायण मिश्र, अल्लामाकैफी आजमी, अल्लामा शिब्ली के लिए भी जाना जाता है। मुगल शासन के जमींदार आजम खां ने 1665 ई.में आजमगढ़ की स्थापना की थी। इसी कारण इस जगह को आजमगढ़ के नाम से जाना जाता है। चीनी की मिलें और कपड़ों की बुनाई यहां के प्रमुख उद्योग हैं। उप्र की संसदीय सीट संख्या 69 आजमगढ़ में छठे चरण के तहत 25 मई को मतदान होगा।

आजमगढ़ संसदीय सीट का इतिहास

आजमगढ़ के सियासी इतिहास की बात करें तो इस लोकसभा सीट पर हमेशा से एमवाई यानी मुस्लिम-यादव फैक्टर हावी रहा। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि यहां अभी तक हुए 20 बार के लोकसभा चुनाव में 17 बार मुस्लिम-यादव उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। वहीं सिर्फ यादव की बात करें तो 14 बार यादवों ने यहां से सांसदी प्राप्त की है। जबकि मुस्लिम प्रत्याशी तीन बार सांसद बनने में कामयाब हुए हैं।

वहीं दलों के हिसाब से बात करें तो आजमगढ़ में अभी तक हुए कुल 20 बार के लोकसभा चुनाव में 7 बार कांग्रेस, 4 बार समाजवादी पार्टी (सपा), 4 बार बहुजन समाज पार्टी (बसपा), 2 बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), 1 बार जनता पार्टी, 1 बार जनता पार्टी (सेक्युलर) और जनता दल ने चुनाव जीता। आजादी के बाद से आपातकाल के बीच हुए पांचों चुनाव में यहां कांग्रेस का कब्जा रहा। आपातकाल के बाद 1977 में यहां पहली बार भारतीय लोकद का प्रत्याशी जीता। कांग्रेस आखिरी बार यहां से 1984 में जीती थी। पहले आम चुनाव के बाद से अब तक यहां तीन बार 1978, 2008 और 2022 में उपचुनाव हो चुके हैं। 2019 चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव यहां से जीते। 2022 में अखिलेश के विधायक बनने के बाद उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद हुए उपचुनाव में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के सुपर स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ ने सपा के धर्मेंद्र यादव को शिकस्त दी थी।

पिछले दो चुनावों का हाल

2022 में हुए उपचुनाव में आजमगढ़ सीट से भाजपा के उम्मीदवार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने 312,768 वोटों के साथ जीत हासिल की। सपा के प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव 304,089 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे और बसपा के नेता शाह आलम 266,210 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थें।

2019 चुनाव में आजमगढ़ सीट पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ढाई लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे। अखिलेश यादव के खाते में 621,578 (60.36 प्रतिशत) वोट आए। भाजपा के उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ को 361,704 (35.12 प्रतिशत) वोट मिले और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी)के नेता अभिमन्यु सिंह सनी को 10,078 (0.98 प्रतिशत) मत मिले थे। इस चुनाव में 57.52 फीसदी वोटिंग हुई थी।

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार

भाजपा ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ को दोबारा मैदान में उतारा है। सपा से धर्मेन्द्र यादव और बसपा से मशहूद सबीहा अंरी चुनाव मैदान में हैं।

आजमगढ़ सीट का जातीय समीकरण

आजमगढ़ संसदीय सीट पर लगभग 19 लाख वोटर हैं। इस लोकसभा सीट में सबसे ज्यादा यादव ओबीसी, मुस्लिम और दलित हैं, जिसमे 26 प्रतिशत यादव ओबीसी, 20 प्रतिशत दलित और 24 प्रतिशत मुस्लिम हैं। बाकी भूमिहार, ठाकुर, ब्राह्मण, कायस्थ की संख्या 4 से 8 फीसदी हैं।

विधानसभा सीटों का हाल

आजमगढ़ संसदीय सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं। जिसमें गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर,आजमगढ़ और मेहनगर (सु0) शामिल हैं। सभी सीटें सपा के खाते में हैं।

जीत का गणित और चुनौतियां

आजमगढ़ में किसी भी प्रत्याशी के लिए जीत का आधार एम-वाई यानी मुस्लिम-यादव समीकरण का काम करना बताया जाता है। इस लोकसभा सीट पर यादव मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। इनकी आबादी करीब 26 फीसदी है। इसके बाद मुस्लिम मतदाता करीब 24 फीसदी हैं। यही दोनों सपा की जीत का आधार बनते रहे हैं। बसपा की जीत में दलितों के करीब 20 फीसदी वोट और मुस्लिम वोट बैंक को माना जाता है। भाजपा की जीत का समीकरण सवर्ण, पिछड़ा वर्ग और दलित वोट बैंक के साथ-साथ यादवों के एक वर्ग का समर्थन रहा है। बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारकर सपा की मुश्किलें बढ़ा दी है। सपा के सामने मुस्लिम वोट बैंक में बसपा की सेंधमारी को रोकने की चुनौती है।

स्थानीय पत्रकार पद्म श्रीवास्तव के अनुसार, आजमगढ़ में भाजपा और सपा के बीच कड़ी टक्कर है। उपचुनाव में जीत के बाद से ही भाजपा के मनोबल यहां बढ़ा हुआ है। हार जीत के बारे में कुछ कहना मुश्किल है।

आजमगढ़ से कौन कब बना सांसद

1952 अलगू राय शास्त्री (कांग्रेस)

1957 कालिका सिंह (कांग्रेस)

1962 रामहरख यादव(कांग्रेस)

1967 चन्द्रजीत यादव (कांग्रेस)

1971 चन्द्रजीत यादव (कांग्रेस)

1977 राम नरेश यादव (भारतीय लोकदल)

1978 मोहसिना किदवई (कांग्रेस) उपचुनाव

1980 चन्द्रजीत यादव (जनता पार्टी सेक्यूलर)

1984 संतोष कुमार सिंह (कांग्रेस)

1989 राम कृष्ण यादव (बसपा)

1991 चन्द्रजीत यादव (जनता दल)

1996 रमाकांत यादव (सपा)

1998 अकबर अहमद डम्पी (बसपा)

1999 रमाकांत यादव (सपा)

2004 रामकांत यादव (बसपा)

2008 अकबर अहमद डम्पी (बसपा) उपचुनाव

2009 रमाकांत यादव (भाजपा)

2014 मुलायम सिंह यादव (सपा)

2019 अखिलेश यादव (सपा)

2022 दिनेश लाल यादव निरहुआ (भाजपा) उपचुनाव

संबंधित समाचार

ताजा खबर