निजी स्कूलों द्वारा फीस और किताबों के नाम पर की जा रही लूट-खसोट के खिलाफ जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना द्वारा की गई कार्यवाही की चर्चा हर तरफ हो रही है और लोग निर्भय होकर निष्पक्ष रूप से की गई इतनी बड़ी कार्यवाही के लिए कलेक्टर दीपक सक्सेना की प्रशंसा कर रहे हैं।
जबलपुर के 11 नामी स्कूलों के संचालकों, इन स्कूलों से जुडे़ पुस्तक विक्रेताओं और प्रकाशकों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने के बाद अब कलेक्टर दीपक सक्सेना ने छात्रों और अभिभावकों से कहा है कि वे स्कूल मैनेजमेंट से सवाल करें कि-
क्या आपने आडिट रिपोर्ट पोर्टल पर अपलोड की है?
क्या आपकी वार्षिक प्राप्तियों का आधिक्य कुल प्राप्तियों के 15% से कम है?
क्या आपने औचित्य सहित फ़ीस वृद्धि की सूचना सत्र प्रारंभ होने के 90 दिवस की अवधि में दे दी है?
क्या आपने 10% से अधिक फ़ीस वृद्धि के लिये सक्षम स्वीकृति ज़िला कलेक्टर या राज्य शासन से प्राप्त कर ली है?
यदि नहीं-
तो किस हक़ से हमारी जेब हल्की कर रहे हो?
कलेक्टर दीपक सक्सेना कहा कि 25 जनवरी 2018 से राज्य शासन ने फ़ीस वृद्धि के पैमाने तय कर दिये हैं। छात्र और अभिभावक अपने हक के लिये सवाल करें और किसी को भी अपनी गाढ़ी कमाई पर डाका डालने का मौक़ा न दें।