भोपाल (हि.स.)। मध्यप्रदेश में नर्सिंग कॉलेजों की तरह बीएड-डीएड कॉलेजों का भी फर्जीवाड़ा सामने आया है। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के छह कॉलेजों की जांच में पता चला है कि मान्यता के लिए फर्जीवाड़े की सभी हद पार कर दी गई। जहां कॉलेज होना बताया गया था, उस भूमि पर खेत बने हैं। ग्राम पंचायत से भवन बनाने की अनुमति भी फर्जी तरीके से ली गई। यहां तक कि सरपंच के हस्ताक्षर तक फर्जी किए गए। इसके साथ ही बैंक की फिक्स डिपाजिट रिसीप्ट (एफडीआर) भी फर्जी तरीके से बना ली।
मामले में बुधवार की रात एसटीएफ ने छह कॉलेजों के खिलाफ धोखाधड़ी, कूट रचित दस्तावेज तैयार करना और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में केस दर्ज किया गया था। अब एसटीफ एससीटीई और जीवाजी यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों की भूमिका की जांच भी कर रही है।
एसटीएफ के पुलिस अधीक्षक राजेश सिंह भदौरिया ने गुरुवार को मामले की जानकारी देते हुए बताया कि अब तक की जांच में सामने आया कि कुछ कॉलेजों ने मान्यता के लिए जो एफडीआर लगाई थी, वह बैंक के द्वारा जारी करने से ही इनकार किया गया है। कॉलेजों में भवन निर्माण के लिए डायवर्सन आदेश को जिस एसडीओ कार्यालय से जारी करना बताया गया, वहां से उन्हें जारी ही नहीं किया गया है। भवन पूर्णता आदेश जिन पंचायतों से जारी करना बताया गया, उन पंचायतों ने ऐसे आदेश जारी करने की बात से ही इनकार कर दिया है।
उन्होंने कहा कि ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी और एससीटीई दिल्ली के कर्मचारियों की भूमिका प्रारंभिक तौर पर संदिग्ध पाई गई है। लिहाजा, जांच के बाद दोषी कर्मचारियों पर भी एफआईआर दर्ज की जाएगी। एसटीएफ ने अंजुमन कॉलेज ऑफ एजुकेशन सेवड़ा (दतिया), प्राशी कॉलेज ऑफ एजुकेशन मुंगावली (अशोक नगर), सिटी पब्लिक कॉलेज शाढ़ौरा (अशोक नगर), मां सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय, वीरपुर (श्योपुर), प्रताप कॉलेज ऑफ एजुकेशन, बड़ौदा (श्योपुर), आइडियल कॉलेज, बरौआ (ग्वालियर) के संचालकों को आरोपी बनाया है। एसटीएफ ये भी पड़ताल करेगी कि ये अब तक कितनी डिग्रियां बांट चुके हैं।