सीमा शर्मा ‘तमन्ना’
नोएडा, उत्तर प्रदेश
वे शब्द ही तो है जो,
हंसाया करते थे तुम्हें और मुझे
वे शब्द ही थे जिन्होंने रुलाया भी
बेशुमार तुम्हें और मुझे
वे शब्द ही थे जो ऊंचाइयों के
उन शिखरों तक ले गए
वे शब्द ही तो थे जिन्होंने गिरा दिया
धरातल की गर्त में तुम्हें और मुझे
वे शब्द ही थे जो बनकर
आशीर्वाद मिले तुम्हें और मुझे
वे शब्द ही तो थे जो मिले फिर
ढलकर बद्दुआओं में तुम्हें और मुझे
वे शब्द ही थे जोड़कर रखा था
जिन्होंने पल-पल यूं तुम्हें और मुझे
वे शब्द ही थे जो तोड़ मोती सा
बिखरे यहां वहां तुम्हें और मुझे
वे शब्द ही हैं जो बहकर अक्सर
भावनाओं में पल-पल तड़पाते हैं
वे शब्द ही हैं जो अपनों को फिर,
अपनों से ही दूर करवाते हैं
वे शब्द ही है जो हृदय को
गहरा घाव दिया करते हैं
वे शब्द ही है उन पर फिर जो
काम मर्म का भी किया करते हैं
वे शब्द ही हैं जिनके आगे
यह सारी सृष्टि हारी है
ये शब्द महज़ नहीं नाम मात्र
सारी कायनात पर ये भारी है