घर से सैकड़ों किलोमीटर दूर परिवार के लिए कमाने वाला बेटा ही जब अपने परिवार के साथ नहीं रह पाता और अपने बूढ़े माता-पिता की सेवा नहीं कर पाता तो वह भीतर ही भीतर मन मसोस कर रह जाता है। ताज्जुब की बात है कि सरकार के एक ही विभाग के अंतर्गत आने वाली बिजली कंपनियों में कंपनी टू कंपनी गृह जिला स्थानांतरण नीति अभी तक नहीं बनाई गई है।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि बिजली कंपनियों में जल्द कंपनी टू कंपनी गृह जिला स्थानांतरण नीति बनाने के लिए तकनीकी कर्मचारी संघ ने ऊर्जा मंत्री को पत्र लिखा है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि मध्यप्रदेश के ऊर्जा विभाग की बिजली कंपनियों में एक कंपनी से दूसरी कंपनी में स्थानांतरण के लिए गृह जिला स्थानांतरण नीति बनाना अतिआवश्यक है, क्योंकि अधिकांश कर्मचारियों के पदस्थापना वाले कार्यालय और उसके गृहनगर की दूरी सैकड़ों किलोमीटर होने के साथ ही बिजली कंपनी का कार्यक्षेत्र भी बदल जाता है। बिजली कंपनी का कार्यक्षेत्र बदलने के कारण वे अपने गृहनगर या नजदीक के किसी बिजली कार्यालय में स्थानांतरित नहीं हो पाता, इसके लिए कंपनी टू कंपनी गृह जिला स्थानांतरण नीति जरूरी है। उन्होंने कहा कि घर-परिवार से दूर बिजली कर्मचारी को हमेशा अपने परिजनों से दूर रहने का दुख तो होता ही है, वहीं इससे ज्यादा माता-पिता की सेवा न कर पाने की व्याकुलता होती है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने आउटसोर्स कर्मचारी को ₹1000 जोखिम भत्ता दिए जाने एवं बिजली कंपनियों में नई संविदा नीति लागू करने के लिए ऊर्जा मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कंपनी टू कंपनी गृह जिला स्थानांतरण नीति बनाने की मांग की है।
संघ के अजय कश्यप, मोहन दुबे, राजकुमार सैनी, लखन सिंह राजपूत, विनोद दास, अरुण मालवीय, इंद्रपाल सिंह, पीएन मिश्रा, संदीप यादव, पवन यादव, राम शंकर, शशि उपाध्याय आदि ने ऊर्जा मंत्री से मांग की गई है कि कर्मचारियों के लिए कंपनी टू कंपनी गृह जिला स्थानांतरण नीति बनाई जाए ताकि वे अपने गृह जिले में पदस्थ हो सकें।