मध्यप्रदेश के ऊर्जा विभाग ने विद्युत कंपनियों में राज्य शासन के सभी विभागों के समान संवर्गों के लिए सुनिश्चित कैरियर प्रोन्नयन योजना- चतुर्थ समयमान वेतनमान लागू करने के आदेश जारी कर दिए हैं। ऊर्जा विभाग के आदेश में कहा गया है कि राज्य शासन एतद द्वारा, उत्तरवर्ती विद्युत कंपनियों में 9 नवंबर, 2015 से लागू समयमान वेतनमान योजना को पुनः विस्तारित करते हुए ऐसे कार्मिक, जिन्हें मंडल अथवा कंपनी की सेवा में सीधी भर्ती से नियुक्ति की तिथि से तीन पदोन्नति, कमोन्नति, समयमान वेतनमान का लाभ प्राप्त हुआ है, को 1 जुलाई 2023 अथवा इसके बाद की तिथि से 35 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर चतुर्थ समयमान वेतनमान लागू करता है।
निर्देशानुसार चतुर्थ समयमान वेतनमान योजना लागू करने हेतु कंपनी के संचालक मण्डल का कार्योत्तर अनुमोदन प्राप्त किए जाने का कृपया अनुरोध है। चूंकि विद्युत कंपनियों के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) प्रत्येक वर्ष म.प्र. विद्युत नियामक आयोग द्वारा अनुमोदित की जाती है, अतः तत्संबंध में आयोग को भी सूचित किये जाने का कृपया अनुरोध है।
राज्य शासन द्वारा सभी विभागों के समान संवर्गों के लिए लागू सुनिश्चित कैरियर प्रोन्नयन योजना प्रभावशील करने के संबंध में चतुर्थ समयमान वेतनमान (Time Scale Pay) नियम व शर्ते
(1) ऐसे कंपनी सेवक जिन्हें मंडल / कंपनी की सेवा में सीधी भर्ती से नियुक्ति की तिथि से तीन पदोन्नति/ क्रमोन्नति / समयमान वेतनमान या कुल तीन वेतनमान के उन्नयन का लाभ प्राप्त हुआ है, को दिनांक 01.07.2023 अथवा इसके बाद की तिथि से 35 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर चतुर्थ समयमान वेतनमान की पात्रता होगी।
(2) चतुर्थ समयमान वेतनमान प्रदान करने की नई नीति लागू होने के बाद 35 वर्ष की सेवा पूरी होने पर यदि किसी कार्मिक ने चार उन्नयन/पदोन्नति/वेतनमान प्राप्त किए हैं, तो ऐसा कार्मिक चतुर्थ समयमान वेतनमान (उच्च वेतनमान) के लिए पात्र नहीं होगा।
(3) चतुर्थ समयमान वेतनमान का लाभ प्राप्त करने के लिए कंपनी सेवक को उन अर्हताओं को पूर्ण करना आवश्यक होगा जो कंपनी के प्रचलित नियमों के अनुसार पदोन्नति के लिये निर्धारित की गई हों।
(4) कंपनी सेवक की चतुर्थ समयमान वेतनमान के लिये सेवा अवधि की गणना प्रतियोगी/चयन परीक्षा के माध्यम से मंडल/कंपनी के अंतर्गत किसी सीधी भर्ती के पद पर प्रथम बार कार्यभार ग्रहण करने की दिनांक से होगी।
इसमें प्रशिक्षण अवधि को भी सम्मिलित किया जायेगा तथापि सेवाकाल की गणना में प्रशिक्षण अवधि में वृद्धि तथा अवलंघन अवधि (Supersession Period) की गणना नहीं की जायेगी ।
(5) यदि किसी कार्मिक को निर्धारित चतुर्थ समयमान वेतनमान के तुल्य या अधिक लेवल का वेतनमान प्राप्त हो रहा है तब उन्हें वर्तमान प्राप्त लेवल का वेतनमान प्राप्त होता रहेगा ।
(6) कोई भी कर्मचारी जो अनुशासनात्मक कार्यवाही/दंड के फलस्वरूप समान कैडर में कार्यरत है, वह चतुर्थ समयमान वेतनमान का विकल्प चुनने के लिए पात्र नहीं है।
(7) सामान्य प्रशासन विभाग, मप्र शासन द्वारा ज्ञापन क्रमांक एफ/सी-6-6-2/94/3/1 दिनांक. 30.06.1994 ने उन मामलों में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं जिनमें शासकीय कर्मचारी के विरूद्ध अनुशासनात्मक/न्यायालय की कार्यवाही लंबित है। ज्ञाप के पैरा 2 (1) के अनुसार निम्नलिखित के संबंध में सीलबंद कवर प्रक्रिया का पालन किया जाना है-
(i) निलंबित सरकारी कर्मचारी,
(ii) शासकीय कर्मचारी जिसके विरूद्ध आरोप/पत्र जारी किया गया है और अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित है।
(iii) शासकीय कर्मचारी जिसके विरूद्ध अदालत में चालान दायर किया गया है और मामला लंबित है।
(8) यदि कोई कार्मिक जो चतुर्थ समयमान वेतनमान का विकल्प चुनने का हकदार है और जिसने निर्धारित शर्तों के अनुसार विकल्प का प्रयोग किया है, उस तिथि से लाभ देने के लिए उपयुक्त नहीं पाया जाता है जिस दिन से उसने विकल्प का प्रयोग किया है तो निर्णय लेने के बाद यह सूचना कि कर्मचारी उच्च वेतनमान देने के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया है, यथाशीघ्र कर्मचारी को भेज दी जाएगी।
(9) ऐसे कर्मचारी के प्रकरण पर अगले वर्ष (वर्षों) के लिए उसकी गोपनीय चरित्रावली प्राप्त होने के बाद पुनर्विचार किया जाएगा और उसकी समीक्षा की जाएगी जैसा कि पदोन्नति के मामले में किया जा रहा है, और कर्मचारी को पुनः विकल्प देना आवश्यक नहीं होगा। हालाँकि, यदि कर्मचारी स्वयं विकल्प का प्रयोग न करने का निर्णय लेता है, तो उसे तत्संबंध में अपने नियंत्रण अधिकारी को लिखित रूप में सूचित करना चाहिए।
(10) यदि कर्मचारी ऊपर बताए अनुसार बाद के वर्ष (वर्षों) में पुनर्विचार करने पर योग्य पाया जाता है, तो वह अगले वर्ष के 1 अप्रैल से चतुर्थ समयमान वेतनमान का हकदार होगा, जिसके लिए अंतिम गोपनीय चरित्रावली पर विचार किया गया है और योग्य पाया गया है। यदि ऐसा कर्मचारी चतुर्थ समयमान वेतनमान देने की तारीख 1 अप्रैल (कंपनी द्वारा प्रस्तावित) को बदलना चाहता है, तो उसे ऐसा करने की अनुमति दी जाएगी। कर्मचारी को आदेश जारी होने की तारीख से 4 महीने की अवधि के भीतर अपने विकल्प का उपयोग करना होगा, ऐसा न करने पर उसे चतुर्थ समयमान वेतनमान स्वीकृति की तारीख को बदलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
(11) मंडल/कंपनी की सेवा में Lateral Entry से सीधी भर्ती के पदों पर की गई नियुक्तियों के प्रकरण में कार्मिक को चतुर्थ समयमान वेतनमान की पात्रता अवधि की गणना उत्त तिथि से की जायेगी, जिस तिथि के आधार पर कार्मिक को तृतीय समयमान वेतनमान स्वीकृत किया गया होगा। परंतु कंपनी के ऐसे कार्मिक जिन्हें विभागीय नियुक्ति उपरांत वर्तमान नियुक्ति संवर्ग में 9/18 वर्ष की सेवा के उपरांत उनकी पूर्व सेवा में प्राप्त उच्च वेतनमान के आधार पर तृतीय विकल्प के रूप में उच्च/समयमान बेतनमान स्वीकृत किया गया है, को चतुर्थ समयमान वेतनमान की पात्रता उपरोक्त अवधि के पांच वर्ष उपरांत होगी।
(12) उन कर्मचारियों के लिए, जो स्टेटिक कैडर में काम कर रहे हैं, उन्हें 35 यान की गहुँकारी सेवा अबधि पूरी करने के बाद, अनुक्रम के अनुसार तीन उच्च वेतनमान / उन्नयन प्राप्त करने वालों को चतुर्थ समयमान वेतनमान की अनुमति दी जाएगी।
(13) कंपनी की संगठनात्मक संरचना में पदोन्नति हेतु पद अथवा संवर्ग में पदोन्नति के अवसर उपलब्ध न होने से चतुर्थ समयमान वेतनमान की पात्रता प्रभावित नहीं होगी यथा डिप्लोमाधारी कनिष्ठ यंत्री को भी चतुर्थ समयमान वेतनमान की पात्रता होगी तथापि चतुर्थ समयमान वेतनमान प्राप्त होने के आधार पर पदोन्नति हेतु कोई दावा प्रस्तुत नहीं किया जा सकेगा।
(14) म.प्र.शासन, ऊर्जा विभाग के पत्र क्रमांक एफ 2966/2018/तेरह, भोपाल, दिनांक 05.04.2018 के पालन में नियुक्त कार्मिकों के लिये पच के परिशिष्ट-दो के अनुसार चतुर्थ वेतनमान में वेतन निर्धारण किया जायेगा। उच्च/समयमान वेतनमान पर विचारण के लिये प्रशिक्षण अवधि की गणना सेवा अवधि में नहीं की जायेगी।
(15) चतुर्थ समयमान वेतनमान को प्राप्त करने वाले कार्मिक का वेतन उस बेतनमान लेवल के अगले लेबल पर निर्धारित किया जायेगा जो तृतीय समयमान वेतनमान के लिये निर्धारित किया गया था।
(16) जो कर्मचारी इस नियम का लाभ उठाता है, उसे लिखित में यह बचन देना होगा कि वह नियमित पद पर नियुक्ति होने पर अपनी पदस्थापना के स्थान पर कार्यभार ग्रहण करेगा। ऐसा करने से इंकार करने पर, कंपनी इस नियम के तहत लाभ से वंचित (Forfeit) कर उसे पदोन्नति आदेश की तारीख से मूल निचले ग्रेड में वापस कर दिया जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें इस नियम के तहत पूर्व में उन वेतनमान/तृतीय समयमान वेतन का लाभ नहीं द्विये जाने पर जो वेतन मिलता था, वह मिलेगा । तथापि ऐसे मामलों में पहले से भुगतान की गई राशि की कोई वसूली नहीं की जाएगी।
(17) 35 वर्षों की अर्हकारी सेवा के बाद चतुर्थ समयमान वेतनमान का लाभ लेने के विकल्प का प्रयोग नहीं करने पर, किसी कर्मचारी को सामान्य नियमों के तहत पदोन्नति पर विचार करने से वंचित नहीं किया जाएगा।
(18) चतुर्थ समयमान वेतनमान मिलने के बाद भी कोई कर्मचारी नियमित रिक्ति पर नियुक्त होने तक समान कार्य और समान कर्तव्यों का निर्वहन करता रहेगा और समान पदनाम धारण करेगा। वह एक ग्रेड से दूसरे ग्रेड में पदोन्नति को नियंत्रित करने वाले नियमों के अनुसार वेतन निर्धारण का लाभ पाने का हकदार होगा। चतुर्थ समयमान वेतनमान के अनुदान के परिणामस्वरूप, वह अन्य लाभों जैसे मकान किराया भत्ता, आदि का भी हकदार होगा, जो मूल वेतन के अनुसार मिलते हैं। नियमित पद पर नियुक्ति को किसी भी उद्देश्य के लिए आगे की पदोन्नति के रूप में नहीं माना जाएगा और पदोन्नति पर देय वेतन निर्धारण का लाभ नहीं मिलेगा।
(19) सामान्य वरिष्ठता प्रक्रिया के अनुसार निचले ग्रेड में वरिष्ठता बनाए रखी जाएगी और इस आदेश के
तहत चतुर्थ समयमान वेतनमान के लिए विकल्प कर्मचारी को उन कर्मचारियों की तुलना में उच्च बरिष्ठता पाने का हकदार नहीं बनाएगा, जिन्होंने इसका विकल्प नहीं चुना है और उन पर केवल सामान्य वरिष्ठता सूची के अनुसार उच्च ग्रेड में नियुक्ति के लिए विचार किया जा सकता है, चतुर्थ समयमान वेतनमान प्रदान करने की तिथि के बाधार पर नहीं।
20) यदि किसी वरिष्ठ कर्मचारी द्वारा चतुर्थ समयमान वेतनमान का लाभ लेने का विकल्प नहीं चुनने के परिणामस्वरूप और उसके कनिष्ठ कर्मचारी द्वारा इस लाभ का विकल्प चुनने पर, बाद वाले को अधिक बेतन मिलता है, तो इसका कोई लाभ वरिष्ठ कर्मचारी को नहीं दिया जायेगा।
(21) चतुर्थ समयमान वेतनमान (35 वर्ष की सेवा के बाद) प्राप्त करने के विकल्प इसके साथ संलग्र फॉर्म- ए में दिए जा सकते हैं। कर्मचारियों को इसके साथ संलग्र फॉर्न-बी में एक शपथ पत्र भी देना होगा।
(22) ऐसे कार्मिक जो आदेश जारी होने की दिनांक तक अथवा आगामी 06 माह के अंदर निर्धारित (समयावधि पूर्ण कर चुके हैं/करेंगे, द्वारा आदेश जारी होने की दिनांक से 6 माह के अंदर विकल्प एवं वचन पत्र प्रस्तुत किया जा सकेगा। इस अवधि के बाद प्रस्तुत आवेदनों पर नियंत्रणकर्ता अधिकारी कार्यालय में आवेदन प्राप्त होने की दिनांक से चतुर्थ समयमान वेतनमान की पात्रता होगी। कार्मिक को पात्रता दिनांक से 6 माह पूर्व आवेदन करने की सुविधा पूर्वानुसार उपलब्ध रहेगी।