मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर प्रदेश के विभिन्न अंचलों में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के आयोजनों से प्रदेश में औद्योगिक क्रांति के नए द्वार खोल दिये है। उनके औद्योगिक प्रगति के नए मंत्र से आंचलिक उद्यमियों को नई ऊर्जा मिली है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने लघु और मध्यम श्रेणी (एमएसएमई) के उद्यमियों को प्रोत्साहित करने की महत्वपूर्ण और सामयिक पहल की है। इसी का परिणाम है कि गत 20 जुलाई को जबलपुर में सम्पन्न रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में वृहद इकाइयों के साथ ही एमएसएमई इकाइयों की स्थापना के लिए निवेशकों ने लगभग 22 हजार करोड़ रूपये के निवेश प्रस्ताव दिए हैं। यह निवेश बड़ी संख्या में रोजगारों का सृजन करेगा।
लगभग 22 हजार करोड़ रूपए के प्रस्ताव आए, वृद्धि की संभावना
प्रदेश में वृहद इकाइयों की स्थापना के लिए 17 हजार करोड़ रूपए के निवेश प्रस्ताव और एमएसएमई इकाइयों की ओर से प्राप्त 5 हजार करोड़ रूपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इस तरह जबलपुर के रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में छोटे-बड़े उद्योगों की ओर से कुल 22 हजार करोड़ रूपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन विभाग की भूमिका से इस माह इनमें निरंतर वृद्धि भी होगी। इसके लिए प्रमुख उद्योगपतियों से संवाद का सिलसिला निरंतर जारी है। जबलपुर आरईसी में सबसे बड़ा निवेश प्रस्ताव रक्षा उपकरण निर्माण से संबंधित 600 करोड़ रूपए का है। इसके अंतर्गत अशोक लीलैंड एवं आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड के बीच करारनामा भी हो गया है। यह प्रस्ताव मध्यप्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
क्षेत्रीय स्तर पर उद्योगों के विकास की पहल
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने क्षेत्रीय स्तर पर उद्योगों के विकास की ठोस पहल की है। इसके लिए के नवीन मंत्र का उपयोग प्रभावी तरीके से प्रारंभ किया गया है। गत मार्च माह में उज्जैन में सम्पन्न रीजनल कॉन्क्लेव के बाद महाकौशल अंचल के प्रमुख नगर और औद्योगिक केन्द्र जबलपुर में हुई कॉन्क्लेव अनेक अर्थ में महत्वपूर्ण रही। कॉन्क्लेव से जहां प्रदेश में 67 नई औद्योगिक इकाइयों के लोकार्पण और भूमिपूजन सम्पन्न हुए, वहीं 265 औद्योगिक इकाइयों को 340 एकड़ भूमि आवंटित की गई। नई इकाइयों से प्रदेश में 16 हजार 500 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। कुल 332 इकाइयों द्वारा 3330 करोड़ रूपए का नया निवेश आ रहा है।
मालवा और महाकौशल के बाद अन्य अंचलों पर नजर
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रदेश के सभी अंचलों में आरईसी के आयोजन के निर्देश दिए थे। आगामी माहो में प्रदेश के अन्य बड़े नगरों में भी रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव आयोजित करने की योजना है। इनमें सागर, रीवा और ग्वालियर शामिल हैं। इससे बुंदेलखंड, विंध्य और चम्बल क्षेत्र में स्थानीय उद्यमियों को निवेश के लिए प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी। विभिन्न क्षेत्रों में छोटी और मध्यम श्रेणियों की इकाइयों का संचालन करने वाले उद्यमी शासन द्वारा दी जा रही सुविधाओं का लाभ लेने के लिए अग्रसर होंगे। विशेष रूप से कृषि, फूड प्रोसेसिंग, खनिज, रक्षा उत्पादन, पर्यटन और वस्त्र उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए प्रारंभ किए गए प्रयास सफलता के नए आयाम स्थापित करेंगे।
वन-टू-वन बैठकों से कठिनाइयों का निकल रहा त्वरित समाधान
प्रदेश में हो रही रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव बहुआयामी गतिविधियों के कारण उद्योगों के विकास का आधार बन रही हैं। ये कॉन्क्लेव जहां बायर- सेलर मीट के माध्यम से महत्वपूर्ण मंच सिद्ध होती हैं, वहीं वृहद औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव और प्रमुख उद्योगपतियों के बीच वन-टू-वन बैठकें मील का पत्थर का साबित होंगी। उद्योगों के लिए आवश्यक सुविधाओं को प्रदाय करने में जहाँ कोई बाधा या कठिनाई सामने आती है, वन-टू-वन बैठकें ऐसी कठिनाइयों को दूर कर त्वरित समाधान में सहायक बनती हैं। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में एमएसएमई सेक्टर की भूमिका निरंतर महत्वपूर्ण बन रही है।