उषा किरण
हम सोचते हैं
इंसान बड़ा मजबूत होता है
हर तूफ़ान से गुजर जाता है
लेकिन कभी कभी
इंसान मजबूत नहीं बेबस होता है
हर तूफ़ान उस पर से गुजर जाता है
और उसे झेलना ही पड़ता है
कितना बेबस और ढीठ होता है
ये दिल….
हकीकत की मार से भी
नहीं सुधरता।
कभी कभी इंसान सोचता है
कश्ती किनारे पर नहीं पहुँची
तो क्या हुआ…..
तूफ़ान तो टला रहा न
लेकिन ये भूल है उसकी
कई बार इंसान
जान तो बचा लाता है
लेकिन उसकी रुह
वहीं तूफ़ान में
फंसी रहती है।