जबलपुर जिले में कुपोषित बच्चों की देखभाल और उनके पोषण स्तर में सुधार के लिये किये जा रहे कार्यों की समीक्षा करने आज शुक्रवार को महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारियों और सेक्टर पर्यवेक्षकों की बैठक जिला पंचायत के सभाकक्ष में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुये जिला पंचायत की सीईओ श्रीमती जयति सिंह ने सेक्टर पर्यवेक्षकों द्वारा आंगनबाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों का वजन एवं लंबाई मापने की अपनाई गई प्रक्रिया को आगामी माह में भी जारी रखने के निर्देश दिये, ताकि कुपोषित बच्चों का सही चिन्हांकन किया जा सके।
बैठक में बताया गया कि माह जुलाई की 11 से 22 तारीख तक जिले के सभी 2 हजार 483 आंगनबाडी केंद्रों में बच्चों की लंबाई एवं वजन की माप कर कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन किया गया है। इस दौरान सेक्टर पर्यवेक्षकों द्वारा स्वयं बच्चों की लंबाई एवं वजन लिया गया। इसके परिणाम स्वरूप कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़कर 2 हजार 358 हो गई है, जबकि जून माह में यही संख्या 2 हजार 83 थी।
जिला पंचायत की सीईओ श्रीमति सिंह ने बैठक में सेक्टरवार चिन्हित किये गये कुपोषित बच्चों की संख्या का ब्यौरा लेकर उनमें से अति कुपोषित पाये गये बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती कराया गया या नहीं इसकी गहन समीक्षा की। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में जहाँ गंभीर रूप से कुपोषित बच्चे को माता-पिता पोषण पुनर्वास केंद्र लेकर जाने को तैयार नहीं हो रहे हैं, वहाँ परियोजना अधिकारी क्षेत्र के एसडीएम एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी को इसकी जानकारी दें ताकि उन्हें समझाइश देकर बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्रों में भर्ती कराया जा सके।
सीईओ श्रीमती सिंह ने बैठक में परियोजना अधिकारियों से कहा कि ऐसे आंगनबाडी केंद्र जहाँ एक भी कुपोषित बच्चे नहीं है वहां स्वयं जायें और अपने सामने प्रत्येक बच्चे की लंबाई एवं वजन करवायें । उन्होंने परियोजना अधिकारियों को अपने क्षेत्र के सेक्टर पर्यवेक्षकों की प्रत्येक दो या तीन दिन में बैठक लेने तथा आंगनबाडी केंद्रों में जाकर कर बच्चों की लंबाई एवं वजन की रेंडम जांच करने के निर्देश भी दिये। उन्होंने कुपोषित बच्चों की माताओं में पोषण संबंधी जागरूकता पैदा करने पर भी जोर दिया। श्रीमति सिंह ने प्रत्येक कुपोषित बच्चे की प्रोफाईल बनाकर उनकी सतत मॉनीटरिंग सुनिश्चित करने की हिदायत भी बैठक में दी ।
बैठक में कुंडम परियोजना की समीक्षा के दौरान कुपोषित बच्चों की संख्या अपेक्षाकृत कम है। परियेाजना अधिकारी एवं पर्यवेक्षकों को निर्देशित किया गया कि ऐसे आंगनबाडी केन्द्र जहां एक भी कुपोषित बच्चे नहीं है, वहां जाकर अपने समक्ष बच्चों का लंबाई और वजन करवाकर वास्तविक कुपोषित बच्चों की पहचान की जाये तथा कुडंम के दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर बच्चों एवं उनके माता पिता को स्वास्थ सेवाओं का लाभ सुनिश्चित किया जायें।
इसी तरह पनागर परियोजना की समीक्षा करने पर पाया गया कि परियोजना अधिकारी द्वारा गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की ठीक से मॉनीटरिंग नहीं की जा रही है और न ही क्षेत्र का भ्रमण किया जा रहा है। शासकीय कार्य में लापरवाही बरते जाने के कारण परियोजना अधिकारी अराधना गर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश जिला पंचायत की सीईओ ने बैठक में दिये। बैठक में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी एमएल मेहरा तथा सहायक संचालक मनीष सेठ भी मौजूद थे।