हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष अनंत चतुर्दशी और विश्वकर्मा पूजा का त्यौहार मंगलवार 17 सितंबर को एक तिथि में मनाया जाएगा। अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान श्रीहरि विष्णु के अनंत स्वरूपों को समर्पित है। इस वर्ष देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा पूजा का शुभ योग, रवि योग भी मंगलवार 17 सितंबर को है। जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु की आराधना का शुभ दिन अनंत चतुर्दशी और देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा के पूजन का विशेष दिन विश्वकर्मा पूजा का दिन एक साथ पड़ने से दुर्लभ संयोग बन रहा है। वहीं अनंत चतुर्दशी की तिथि पर दस दिवसीय गणेशोत्सव का समापन होता है, इस दिन विघ्नहर्ता भगवान गणेश का पूजन और घरों एवं पंडालों में स्थापित गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।
पंचांग के अनुसार अनंत चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी पर भगवान श्रीहरि विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है, जिनका न आदि है न हो अंत है, इसलिए इस चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत को करने मात्र से भगवान श्रीहरि विष्णु की कृपा मिल जाती है। साथ ही जीवन की सभी समस्याओं का अंत होता है। इस व्रत का संकल्प लेकर अनंत सूत्र बांधा जाता है। इस सूत्र को धारण करने से सभी संकटों का नाश होता है।
वहीं दूसरी ओर पंचांग के अनुसार इस वर्ष भगवान विश्वकर्मा पूजा का शुभ योग, रवि योग भी मंगलवार 17 सितंबर को है। मंगलवार 17 सितंबर के दिन रवि योग बन रहा है और इस शुभ योग में भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से सभी कार्यों में उन्नति होती है। इस दिन भगवान विश्वकर्मा को कई प्रकार के अस्त्र-शस्त्र से सुशोभित किया जाएगा और पूजा-अर्चना की जाएगी। भगवान विश्वकर्मा पूजा वाले दिन श्रद्धालु ऑफिस, कारखानों, मशीनों, औजारों और वाहनों की पूजा करते हैं, इससे जीवन में सुख-समृद्धि और व्यापार में उन्नति का शुभ फल प्राप्त होता है।
पौराणिक मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा देव लोक के वास्तुकार और शिल्पकार हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान विश्वकर्मा ने ही भगवान शिव का त्रिशूल और भगवान श्रीहरि विष्णु का सुदर्शन चक्र बनाया था। इसलिए इस दिन शस्त्रों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।