धीरे-धीरे बिजली कंपनियो की मंशा उजागर होने लगी है कि कंपनी प्रबंधन ही संविदा कार्मिकों का नियमितीकरण नहीं चाहता, क्योंकि अक्सर ऐसा देखने में आता है कि जब भी सरकार या ऊर्जा विभाग, कंपनी प्रबंधन से कार्मिकों के हित में कोई मत या टीप मांगता है, कंपनी प्रबंधन के द्वारा कार्मिकों के हितों की अनदेखी करते हुए उलझे हुए जवाब दे दिए जाते हैं, जिससे कार्मिकों के हित में निर्णय नहीं हो पाते।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने प्रदेश के मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव ऊर्जा, ऊर्जा विभाग के विशेष कर्तव्य अधिकारी एवं मध्य प्रदेश राज्य विद्युत मंडल की सभी उत्तरवर्ती बिजली कंपनियों के प्रबंधन को पत्र लिखा था, जिसमें देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित एक निर्णय, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि ऐसे पद जो बारहमासी प्रकृति के हों, उन पदों पर लंबे समय तक नियुक्त कार्मिकों को नियमित मानते हुए, नियमित पद के समस्त लाभ दिए जाएं। इस निर्णय का संदर्भ देते हुए संविदा कार्मिकों के नियमितीकरण की मांग की गई थी।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि उनके पत्र पर संज्ञान लेते हुए ऊर्जा विभाग के विशेष कर्तव्य अधिकारी द्वारा पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी प्रबंधन से मत मांगा गया था, लेकिन हमेशा की तरह कंपनी प्रबंधन ने अपने जवाब में संविदा कार्मिकों के हितों की अनदेखी करते हुए उलझी हुई टीप प्रेषित कर दी।
हरेंद्र श्रीवास्तव का कहना है कि बिजली संविदा कार्मिकों की नियुक्ति नियमित पदों के विरुद्ध की गई है। संविदा कार्मिकों, विशेष तौर पर लाइन पर काम करने वाले संविदा कर्मियों के कार्य की प्रकृति जोखिमपूर्ण होती है और वे लगातार दिन-रात, बारह महीने कार्य करते हैं। संघ के शंभू नाथ सिंह, मोहन दुबे, अजय कश्यप, राम केवल यादव, शशि उपाध्याय, प्रदीप द्विवेदी, शंकर यादव, रतिपाल यादव, इंद्रपाल सिंह, राहुल दुबे, संदीप यादव, पवन यादव, अमीन अंसारी, पीएम मिश्रा, महेश पटेल, मदन पटेल, दशरथ शर्मा आदि ने यथाशीघ्र संविदा कार्मिकों का नियमितीकरण किये जाने की मांग की है।