बिजली कंपनियों में नियमानुसार करंट का जोखिमपूर्ण का कार्य करने नियमित लाईनमैनों के लगातार सेवानिवृत्त होने पर बिजली कंपनी प्रबंधन द्वारा संविदा एवं आउटसोर्स लाइन कर्मियों की भर्ती की गई। लेकिन नियमानुसार संविदा एवं आउटसोर्स लाइन कर्मियों के लिए करंट का कार्य करने का प्रावधान नहीं होने के बावजूद मैदानी अधिकारी दबाव बनाकर संविदा एवं आउटसोर्स लाइन कर्मियों से करंट का कार्य करवाते हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं घटित हो रही हैं।
मध्य प्रदेश विद्युत मंडल तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रांतीय महासचिव हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में करंट का जोखिमपूर्ण कार्य करने वाले लाईनमैनों की अत्यधिक कमी हो गई है। नियमित लाईनमैनों के विरूद्ध विद्युत वितरण कंपनियों में भर्ती किए गए संविदा एवं आउटसोर्स लाइन कर्मियों से करंट का कार्य इसलिए करवाया जा रहा है, क्योंकि बिजली कंपनियों में जोखिमपूर्ण कार्य करने वाले नियमित लाइन कर्मियों की बेतहाशा कमी हो चुकी है।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने करंट का जोखिमपूर्ण करने वाले संविदा एवं आउटसोर्स लाइन कर्मियों को जोखिम भत्ता दिए जाने का प्रावधान किया था, लेकिन बिजली अधिकारी इसमें भी भेदभाव करते हुए सभी लाइन कर्मियों को जोखिम भत्ते का भुगतान नहीं कर रहे हैं, लेकिन उसने जोखिमपूर्ण कार्य करवा रहे हैं।
हरेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि जिन लाइन कर्मियों को जोखिम भत्ता नहीं दिया जा रहा है, उनसे करंट का जोखिमपूर्ण कार्य न कराया जाए या फिर उन्हें भी जोखिम भत्ता दिया जाए। उन्होंने कहा कि अधिकारी मनमाने तरीके से विद्युत कंपनियों को चलाना चाहते हैं जिनको करंट का जोखिमपूर्ण कार्य करने का अधिकार नहीं है, उन सभी से करंट का कार्य कराया जाता है और घटना होने पर अधिकारी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं।
संघ के शशि उपाध्याय, अजय कश्यप, मोहन दुबे, लाखन सिंह राजपूत, इंद्रपाल सिंह, राहुल दुबे, संदीप यादव, पवन यादव, विपतलाल विश्वकर्मा, पीएन मिश्रा, विनोद दास, राकेश नामदेव, मदन पटेल, राजेश यादव आदि ने तीनों विद्युत वितरण कंपनियों के प्रबंधन से मांग की है कि जिनको जोखिम भत्ता दिया जा रहा है, सिर्फ उन्हीं लाइन कर्मियों से करंट का जोखिमपूर्ण कार्य कराया जाए।