मिली मुझे एक भोली सी आशा
जिसका स्वभाव बड़ा सीधा सा
हर वक्त होठों पर चुप्पी साधे
अपने ही ख़यालों के पीछे भागे
हर पल ग़म सहती जाती
पर उफ़ न करती वह ज़रा–सी
शांत, शालीन, शीतल उसका मन
सबसे करती वह अपनापन
ऐसी मिली मुझे है आशा
जिसकी न होती कभी पूरी आशा
आशा को आशा से ही निराशा
पर परमात्मा से मेरी भी एक आशा
पूरी कर दे आशा की भी आशा
क्योंकि आखिर वह मेरी ही आशा
-एच के रूपा रानी