ज्योतिष केसरी- एस्ट्रो ऋचा श्रीवास्तव
शिव महापुराण के अनुसार इस धरती पर देवों के देव महादेव जहां-जहां भी दिव्य ज्योति के रूप में प्रकट हुए वहां उनके लिंग स्वरूप की स्थापना हुई। हमारे सनातन वाङ्गमय में ज्योतिर्लिंग की पूजा, आराधना, दर्शन आदि का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से ही मनुष्यों के कई जन्मों के पाप नष्ट होकर के उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
शिव महापुराण की शतरुद्र संहिता में ज्योतिष के आलोक में द्वादश राशियों के अनुसार द्वादश ज्योतिर्लिंगों का वर्णन है। शतरुद्र संहिता के अध्याय 42/2-4 के अनुसार जिनकी कुंडली में कोई ग्रह यदि नीच की राशि में या मारक स्थान में स्थित हो या स्वयं मारकेश हो, उस स्थिति में जातक को जिस राशि में पीड़ित ग्रह उच्च का होता है उस राशि से संबंधित ज्योतिर्लिंगों के दर्शन, पूजन, अभिषेक और मंत्रोच्चार आदि करने से ग्रह पीड़ा से राहत मिलती है।
आईए जानते हैं कि 12 राशियों से संबंध रखने वाले अति पवित्र 12 ज्योतिर्लिंग कौन-कौन से हैं।
मेष राशि
मेष राशि के जातकों को तमिलनाडु में सूर्यवंशी भगवान राम द्वारा स्थापित “रामेश्वरम” ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन करना चाहिए। रामेश्वरम में मेष राशि से सम्बंधित ज्योतिर्लिंग है , जो कि सूर्य की उच्च राशि मानी जाती है। मेष राशि में सूर्य की ऊर्जा सबसे अधिक होती है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन पूजन से हमें तीव्र आत्म बल, उच्च पद की प्राप्ति, समाज में मान-प्रतिष्ठा इत्यादि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा जिसके सूर्य नीच के हों या मारक स्थान में हों, उन्हें रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की पूजा और आराधना करने से विशेष लाभ होता है।
मंत्र- “नमो शिवाय नमः रामेश्वराय”
वृष राशि
वृष राशि के जातकों के लिए गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा और आराधना करनी चाहिए। वृष राशि चंद्र ग्रह की उच्च राशि होती है। कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना कठिन तपस्या के पश्चात स्वयं चंद्र देव ने की थी। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन से अच्छा स्वास्थ्य, रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि, माता के सुख सहित प्रसन्नता पूर्वक सुखी जीवन प्राप्त होता है।
मंत्र- “नमः शिवाय नमो सोमनाथाय नमो नमः”
मिथुन राशि
मिथुन राशि से संबंधित ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका जिले में स्थापित है। इन्हें “नागराज” ज्योर्तिलिंग कहा जाता है। इनका नाम नागो के राजा वासुकी के ऊपर पड़ा है। मिथुन राशि राहु की उच्च राशि मानी जाती है। राहु ग्रह से पीड़ित लोगों को नागराज ज्योतिर्लिंग की पूजा आराधना और दर्शन करना चाहिए। इस ज्योतिर्लिंग की पूजन से बुद्धि और पराक्रम में वृद्धि होती है व राहु ग्रह जनित पीड़ा की शांति होती है।जिनकी कुंडली में कालसर्प दोष हो, या राहु अशुभ प्रभाव दे रहे हों, उन्हें
इस ज्योर्तिलिंग के दर्शन पूजन से लाभ प्राप्त होता है।
मंत्र- “ॐ नमो शिवाय श्री नागेश्वराय नमो नमः”
कर्क राशि
कर्क राशि से संबंधित ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है। कर्क राशि बृहस्पति की उच्च राशि मानी जाती है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में खंडवा नमक जिले में पवित्र नर्मदा नदी के तट पर स्थित है और इसका जुड़वां ज्योतिर्लिंग ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग है। उच्च कोटि की आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए इन दोनों ज्योतिर्लिंगों की पूजा, आराधना और दर्शन अवश्य करना चाहिए। जिन लोगों का बृहस्पति कमजोर अवस्था में होता है उन्हें ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन से लाभ होता है।
मंत्र- “नमः शिवाय श्री ओम्कारेश्वराय नमो नमः”
सिंह राशि
सिंह राशि वाले व्यक्तियों को महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा करनी चाहिए। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन से संचित पाप कर्मों का नाश होता है। इसके अलावा जिसकी जन्म पत्रिका में सूर्य कमज़ोर अवस्था मे हों, राहु और केतु द्वारा उन्हें ग्रहण लग रहा हो और शुभ परिणाम न दे रहे हों उन्हें इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन से लाभ होगा। इस ज्योतिर्लिंग की आराधना से व्यक्ति में आत्मबल की वृद्धि होती है और उसे समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त होती है।
मंत्र- “ॐ नमः शिवाय श्री घृष्णेश्वराय नमो नमः”
कन्या राशि
कन्या राशि से संबंधित ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम पर्वत शिखर पर स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है। कन्या राशि बुध की उच्च राशि है और भारतवर्ष का यह क्षेत्र बुध राशि के अंतर्गत आता है। जिनकी कुंडली में बुध कमजोर अवस्था में हो या शुभ परिणाम न दे रहे हो उन्हें मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजम जरूर करने चाहिए।
मंत्र- “ॐ नमः शिवाय श्री मल्लिकार्जुनाय नमो नमः”
तुला राशि
तुला राशि के जातकों को उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। कालों के काल महाकाल की नगरी भारत के उज्जैन शहर में शिप्रा नदी के तट पर स्थित है यह स्थान भारत की कर्क रेखा से होकर गुजरता है जहां से भारतीय मानक समय तय किया जाता है। तुला राशि शनि की उच्च राशि है और समस्त काल का संचालन शनि ग्रह के हाथ में है। अतः जिनकी कुंडली में शनि की दशा, महादशा और साढ़ेसाती, ढैया आदि एक्टिव हो तो उन्हें महाकाल ज्योतिर्लिंग के दर्शन पूजन और अभिषेक से बहुत राहत मिलती है।
मंत्र- “ॐ नमः शिवाय श्री महाकालेश्वराय नमो नमः”
वृश्चिक राशि
झारखंड स्थित बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग से वृश्चिक राशि संबंधित है। वृश्चिक राशि मंगल की अपनी राशि है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन, पूजन, अभिषेक से शारीरिक बल, उत्तम स्वास्थ्य, पराक्रम और साहस की प्राप्ति होती है। यहां व्यक्ति को विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। किसी सड़क को कुंडली जागरण के लिए बैद्यनाथ धाम के ज्योतिर्लिंग की पूजा करना आवश्यक होता है। जिनकी कुंडली में मंगल शुभ परिणाम न दे रहे हों, उनको वैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग के पूजन से लाभ होता है।
मंत्र- “ओम नमः शिवाय श्री वैद्यनाथाय नमो नमः”
धनु राशि
उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग धनु राशि से संबंध रखता है। यह ज्योतिर्लिंग विश्व की सबसे पुरानी जीवित शहर बनारस में पावन गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। यहां का ज्योतिर्लिंग देवों के नाथ, काशी विश्वनाथ महादेव के रूप में प्रसिद्ध है। यह स्थान केतु ग्रह के अंतर्गत आता है। धनु राशि केतु की अपनी उच्च राशि है। केतु ग्रह मोक्ष प्रदायिनीग्रह है, अतः काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को मोक्ष प्रदाता ज्योतिर्लिंग भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि वाराणसी में देह त्यागने वाले व्यक्ति को जन्म मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है।
मंत्र- “ॐ नमः श्री काशी विश्वेशराय नमः”
मकर राशि
मकर राशि का संबंध महाराष्ट्र में पुणे के पास स्थित भीमाशंकर अथवा मोटेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग से है। मकर राशि मंगल का उच्च स्थान है। मंगल हमारे जीवन में पराक्रम शौर्य और अभय प्रदान करते हैं और जीवन को मंगल में बनाते हैं ।भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के अखंड पराक्रमी रूप को प्रस्तुत करता है। जिनकी कुंडली में मंगल संबंधी समस्या हो उन्हें इस ज्योतिर्लिंग के पूजन दर्शन से अत्यधिक लाभ होता है साथी शनि संबंधी समस्या भी शांत होती हैं।
मंत्र- ” ॐ नमः शिवाय श्री भीमाशंकराय नमो नमः”
कुंभ राशि
कुंभ राशि से संबंधित ज्योतिर्लिंग उत्तराखंड के केदारनाथ में स्थित है। यह शिवलिंग अति प्राचीन है और कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने भी यहां आकर अभिषेक और पूजन किया था। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की सबसे अधिक महत्व है। यह ज्योतिर्लिंग राहु और शनि से संबंध रखता है। राहु और शनि से पीड़ित जातकों को इस ज्योतिर्लिंग की पूजा अवश्य करनी चाहिए। यह ज्योतिर्लिंग जीवन से अंधकार दूर करके हमारी आत्मा को प्रकाश की ओर उन्नत करता है।
मंत्र- “ॐ नमः शिवाय श्री केदारेश्वराय नमो नमः”
मीन राशि
मीन राशि का संबंध महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित त्रयंबकेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग से माना जाता है। यहां पर पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम स्थल भी माना जाता है। इस ज्योतिर्लिंग का नाम ब्रह्मा विष्णु महेश के सम्मिलित तीन रूपों का एकीकृत नाम त्रयम्बकेश्वर के नाम से पड़ा। मीन राशि शुक्र देव की उच्च राशि है। और शुक्र देव जो मृत संजीवनी विद्या के ज्ञाता है। अतः ये ज्योतिर्लिंग असाध्य रोग, मृत्यु तुल्य कष्ट, और पितरो, पूर्वजों जनित पीड़ा से मुक्ति प्रदान करता है। जिनकी कुंडली में पितृ दोष और कालसर्प दोष हो उनको त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा अर्चना करनी चाहिए। यह ज्योतिर्लिंग महामृत्युंजय मंत्र के साथ भी जुड़ा हुआ है।
मंत्र- “ॐ नमः शिवाय श्री मृत्युंजाय त्रयम्बकेश्वराय नमो नमः”
उपरोक्त आलेख में मैंने शिव महापुराण की शतरुद्र संहिता के अनुसार 12 राशियों से संबंधित ज्योतिर्लिंगों का विवरण देने का प्रयास किया है। जो जातक स्वयं इन ज्योतिर्लिंगों तक नहीं जा सकते, उन्हें अपने घर के पास ही शिवालय में अपनी राशि से संबंधित ज्योतिर्लिंग के मित्रों का उच्चारण करना चाहिए और इस शिवलिंग को अपनी राशि से संबंधित ज्योतिर्लिंग मानकर अभिषेक और पूजन करना चाहिए। वहीं मेरी सलाह है कि प्रत्येक जातक को अपनी राशि से संबंधित ज्योतिर्लिंग का दर्शन-पूजन अपने जीवन में एक बार अवश्य करना चाहिए।