सोमनाथ (हि.स.)। प्रथम ज्योतिर्लिंग सोमनाथ में कार्तिक पूर्णिमा की आधी रात को अद्भुत नजारा दिखा। हर साल यहां कार्तिक पूर्णिमा का चंद्रमा आधी रात को सोमनाथ ज्योतिर्लिंग और ध्वजदंड की सीधी रेखा में होता है।
शुक्रवार की आधी रात को इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहले से वहां मौजूद रहे। वर्ष में महज एक बार होने वाले इस संयोग के संबंध में कहा जाता है कि चंद्रदेव को क्षयरोग से सोमनाथ महादेव ने मुक्ति दिलाई थी। ऐसी मान्यता है कि इसके बाद से कार्तिक पूर्णिमा की रात हर साल चंद्रमा खुद आकर अपनी प्रभा यानी शीतलता से भगवान सोमनाथ का अभिषेक करते हैं।
सोमनाथ ट्रस्ट के महाप्रबंधक विजयसिंह चावड़ा ने बाताया कि कार्तिक पूर्णिमा की रात जब चंद्रमा, ध्वजदंड और सोमनाथ ज्योर्तिलिंग एक सीधी रेखा में होता है तो इस अद्भुत संयोग को श्रद्धालु अमृत वर्षा के रूप में जानते हैं। इसके कारण श्रद्धालु यह मानते हैं कि जब चंद्रदेव अपने भगवान सोमनाथ महादेव को अपनी प्रभा से अभिषेक करने पहुंचते हैं, तब इस अमृत वर्षा का दर्शन करने वाले सभी भक्तों की भी मनोकामना पूर्ण होती है।
चंद्रदेव की तरह ही भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं। अमृत वर्षा योग का दर्शन करने बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी यहां पहुंचते हैं। कार्तिक पूर्णिमा पर इस अद्भुत संयोग के तहत श्री सोमनाथ मंदिर में शुक्रवार रात 11 बजे महापूजा की गई। परंपरा के अनुसार रात्रि 12 बजे सोमनाथ महादेव की महाआरती की गई। इस दौरान देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालुओं की हर हर महादेव के नाद से पूरा मंदिर परिसर गुंजायमान हो उठा।