पं अनिल कुमार पाण्डेय
प्रश्न कुंडली एवं वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ
साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया
सागर, मध्य प्रदेश- 470004
व्हाट्सएप- 8959594400
सनातन संस्कृति में खरमास में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। सनातन पंचांग के अनुसार इस वर्ष गुरुवार 16 दिसंबर की दोपहर 3:47 बजे सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे, इसके साथ ही खरमास की शुरूआत हो जाएगी।
गुरुवार 16 दिसंबर को खरमास का आरंभ होगा और वर्ष 2024 में सोमवार 15 जनवरी को खरमास समाप्त हो जाएगा। सोमवार 15 जनवरी को सूर्य देव जब मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो खरमास के समाप्त होते ही शुभ और मांगलिक कार्य पुनः प्रारंभ हो जाएंगे। पौराणिक मान्यता के अनुसार खरमास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते है, लेकिन यज्ञ-हवन, पूजा-पाठ, कथा आदि धार्मिक कार्य किए जा सकते हैं।
एमपी के सागर के ज्योतिषाचार्य पंडित अनिल कुमार पांडेय ने बताया कि खरमास में सूर्यदेव की चाल धीमी हो जाती है, जिससे इस समय कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य, शादी-विवाह, प्रतिष्ठान या घर खरीदना एवं नव-निर्माण कार्य, मुंडन या छेदन, गृह प्रवेश, या फिर किसी नए कार्य का आरंभ करना वर्जित माना गया है।
पंडित अनिल कुमार पांडेय ने बताया कि हर साल 2 खरमास लगते हैं। खरमास के दौरान सूर्यदेव, बृहस्पति की राशि मीन या धनु में प्रवेश करते हैं, जिसके बाद खरमास का आरंभ हो जाता है। जब सूर्य गुरु की राशि में होते हैं तो उस काल को गुर्वादित्य कहा जाता है, जो शुभ कामों के लिए वर्जित है।
विवाह के शुभ मुहूर्त
इस वर्ष 16 दिसंबर 2023 से खरमास की शुरूआत हो रही है, जिसके बाद 15 जनवरी तक विवाह के शुभ मुहूर्त नहीं हैं। जनवरी में 18, 20, 21, 22, 27, 28, 30 और 31 जनवरी के दिन विवाह के शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। फरवरी में 1, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 12, 13, 18, 19, 24, 25, 26 और 27 फरवरी के दिन विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। मार्च के महीने में विवाह के 5 शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। 2, 4, 6, 7 और 11 मार्च को विवाह का शुभ मुहूर्त है। अप्रैल के महीने में 18, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25 और 26 अप्रैल के दिन विवाह के शुभ मुहूर्त बन रहे हैं।
खरमास कथा
खरमास की पौराणिक कथा के अनुसार सूर्यदेव अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार सदैव गतिमान रहते हैं, वह निरंतर ब्रह्मांड की परिक्रमा लगाते हैं। सूर्यदेव एक क्षण के लिए भी ठहर नहीं सकते क्योंकि अगर उनके गतिहीन होते ही जनजीवन के लिए समस्या उत्पन्न हो जाएगी।
कथा के अनुसार एक बार सूर्यदेव अपने रथ पर ब्रह्मांड की परिक्रमा लगा रहे थे, तब हेमंत ऋतु में उनके घोड़े थक गए और एक तालाब किनारे पानी पीने के लिए रुक गए। सूर्यदेव जानते थे कि उनका एक क्षण भी ठहरना सृष्टि के लिए संकट पैदा कर सकता है। ऐसे में उन्होंने तालाब किनारे खड़े दो खर यानी गधों को अपने रथ में जोड़ लिया और पुन: परिक्रमा के लिए चल दिए। गधे दौड़ने में घोड़ों की बराबरी नहीं कर सकते थे, इस कारण सूर्यदेव के रथ की गति धीमी हो गई। पूरे एक माह तक सूर्यदेव गधों के रथ पर सवार रहते हैं, इसलिए इसे खरमास कहा जाता है।