Tuesday, September 17, 2024
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उज्जैन में धूमधाम से निकली भगवान महाकाल की चौथी सवारी, चार स्वरूपों में दिए भक्तों को दर्शन

भोपाल (हि.स.)। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर मंदिर से सावन मास में चौथे सोमवार की शाम भगवान महाकाल की चौथी सवारी धूमधाम से निकाली गई। इस दौरान भगवान महाकाल ने चार स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिए। अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, हाथी पर मनमहेश, गरुड़ पर शिव तांडव और नंदी पर उमा-महेश रूप में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले और अपनी प्रजा का हाल जाना।

सवारी निकलने से पूर्व महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में प्रदेश के वन मंत्री रामनिवास रावत, महिला एवं बालविकास मंत्री निर्मला भूरिया, पशुपालन मंत्री लखन पटेल, कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री दिलीप जैसवाल, पिछड़ा वर्ग मंत्री कृष्णा गौर तथा पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भगवान महाकाल के चंद्रमौलेश्वर का पूजन कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना किया। महाकालेश्वर मंदिर से शाम चार बजे शाही ठाठ बाट के साथ की भगवान महाकाल की सवारी की शुरुआत हुई। भगवान चंद्रमौलेश्वर की पालकी मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, जहां परंपरानुसार सशस्त्र पुलिस बल द्वारा भगवान को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। यहां से पुलिस बैण्ड की सुमधुर धुन पर बाबा नगर भ्रमण पर निकले। पालकी के पीछे भगवान गजराज पर मन महेश,गरूड़ रथ पर शिव तांडव तथा नंदी रथ पर उमा महेश स्वरूप में विराजे।

पूरे मार्ग पर भक्तों द्वारा गुलाब के फूलों की पंखुरियों से जमकर वर्षा कर बाबा की अगवानी की। मार्ग में रंगोली भी बनाई गई। सवारी में भजन मंडली, सशस्त्र बल की टुकड़ी, घासी जनजातीय समूह के कलाकार नृत्य करते हुए चले। सवारी परंपरागत मार्गों से होते हुए शाम 5 बजे शिप्रा तट रामघाट पहुंची। रामघाट पर पुजारियों ने शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक कर पूजा अर्चना की। पूजन पश्चात सवारी निर्धारित मार्गों से होकर सवारी शाम 7 बजे पुन: मंदिर पहुंची।

इधर, सोमवार को गुना के दौरे पर रहे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुटियावद गांव में कांवड़ यात्रा में शिरकत की। वे कुछ दूर तक खुद कांवड़ कंधे पर उठाकर चले। वहीं, खंडवा के ओंकारेश्वर में मंगला आरती के बाद भगवान ओंकारेश्वार का विशेष श्रृंगार किया गया। दोपहर दो बजे ओंकारेश्वर और ममलेश्वर महाराज नगर भ्रमण पर निकलेंगे। सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में बेल पत्र, शमी पत्र, धतूरा, आक और फूल अर्पित कर भोले की आराधना की गई।

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