पौराणिक हिन्दू मान्यताओं के अनुसार एकादशी के व्रत को शास्त्रों में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। एकादशी व्रत हर माह में दो बार रखा जाता है। हर एकादशी का अपना अलग महत्व है। इस बार कल यानी मंगलवार 9 जनवरी को विजया एकादशी का व्रत किया जाएगा।
फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी कहा जाता है। इस पावन तिथि पर किया जाने वाला यह व्रत जीवन में सफलता पाने और हर मनोकामना को पूरा करने के लिए विशेष रूप से किया जाता है।
विजया एकादशी का व्रत अपने नाम के अनुरूप फल भी देता है। ऐसी मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत मनुष्य के पापों को दूर करता है और उनके जीवन को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है। शास्त्रों के अनुसार विजया एकादशी को व्रत रखने से व्यक्ति को पूर्वजन्म और इस जन्म के सभी पापों से मुक्ति मिलती है और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
विजया एकादशी- दिन मंगलवार 9 मार्च
एकादशी तिथि प्रारम्भ- दिन सोमवार 8 मार्च को दोपहर 3ः44 बजे
एकादशी तिथि समाप्त- दिन मंगलवार 9 मार्च को 3ः02 बजे
पारण मुहूर्त- दिन बुधवार 10 मार्च सुबह 6ः37 बजे से 8ः59 बजे तक
व्रत कथा
द्वापरयुग में धर्मराज युद्धिष्ठिर को फाल्गुन एकादशी के महत्व के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। उन्होंने अपनी इस जिज्ञासा को भगवान श्रीकृष्ण के सामने प्रकट किया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने फाल्गुन एकादशी के महत्व व कथा के बारे में बताते हुए कहा कि ये बात त्रेतायुग की है।
जब भगवान श्रीराम ने माता सीता के हरण के पश्चात रावण से युद्ध करने के लिए सुग्रीव की सेना को साथ लेकर लंका की ओर प्रस्थान किया तो लंका से पहले विशाल समुद्र ने रास्ता रोक लिया। समुद्र में बहुत ही खतरनाक समुद्री जीव थे, जो वानर सेना को हानि पहुंचा सकते थे. चूंकि श्रीराम मानव रूप में थे, इसलिये वे इस गुत्थी को उसी रूप में सुलझाना चाहते थे।
उन्होंने लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय जानना चाहा तो लक्ष्मण ने कहा कि हे प्रभु वैसे तो आप सर्वज्ञ हैं, फिर भी यदि आप जानना ही चाहते हैं तो मुझे लगता है कि यहां से आधा योजन की दूरी पर वकदालभ्य मुनिवर निवास करते हैं, उनके पास इसका कुछ न कुछ उपाय हमें मिल सकता है।
फिर क्या था, भगवान श्रीराम उनके पास पंहुच गए। उन्हें प्रणाम किया और अपनी समस्या उनके सामने रखी। तब मुनि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को यदि आप समस्त सेना सहित उपवास रखें तो आप समुद्र पार करने में तो कामयाब हो जाएंगे।
साथ ही इस उपवास के प्रताप से आप लंका पर भी विजय प्राप्त करेंगे। समय आने पर मुनि वकदालभ्य द्वारा बताई गई विधिनुसार भगवान श्रीराम सहित पूरी सेना ने एकादशी का उपवास रखा और रामसेतु बनाकर समुद्र को पार कर रावण को परास्त किया।