सुजाता प्रसाद
शिक्षिका, सनराइज एकेडमी
नई दिल्ली
हिन्दू पंचांग की तिथि के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन बसंत पंचमी मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस मंगल दिवस से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है, इसलिए इस दिन को बसंत ऋतु के आगमन के रूप में भी मनाया जाता है।
शरद ऋतु के विदा होते ही बसंत पंचमी, बसंत ऋतु के आगमन का संदेश लेकर आती है। खेत सरसों के पीले फूलों से भर जाते हैं। गेहूं की सुनहरी झूमती बालियां गेहूं के पक कर तैयार हो जाने के गीत गुनगुनाती हुई प्रतीत होती हैं। बागों में, उपवन में, फूलों की क्यारियां खिल जाती हैं।
ऐसा लगता है मानो सृष्टि भी प्रकृति के सुंदर ऋतु बसंत के स्वागत की तैयारी में रत हो गई हो। सचमुच बसंत एक रंग है, प्रकृति का प्रसंग है, भाव मन के मौसम का, उत्साह है उमंग है। ऐसा भी माना जाता है कि बसंत पचंमी के दिन ही माँ सरस्वती प्रकट हुई थीं। माँ सरस्वती ज्ञान और संगीत की देवी हैं। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने से विद्या और बुद्धि का वरदान मिलता है।
इसलिए यह विशेष दिन विद्यार्थियो और संगीत के क्षेत्र से संबंधित लोगों के लिए के लिए बहुत महत्व रखता है। विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती के पूजन दिवस को श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।
प्राचीन समय से भारत की संस्कृति में इस दिन विद्या आरंभ करने की परंपरा रही है, जिसे आज भी अपनाए रखने की कोशिश की जाती है। माँ सरस्वती को कई नामों से जाना जाता है, माँ शारदा, माँ भारती, माँ वीणावादिनी, माँ बुद्धिदायिनी, माँ हंसवाहिनी, माँ वागीश्वरी, माँ चंद्रकांता, माँ भुवनेश्वरी, माँ वागीश्वरी, माँ ब्रह्मचारिणी इत्यादि, जिनके स्मरण मात्र से मनुष्य के जीवन में परिवर्तन होते हैं और अच्छे फल मिलते हैं।
श्वेताम्बरा, शुभ्रवर्णा, चेहरे पर मधुर स्मित मुस्कान लिए, सभी अलंकारों से अलंकृत हंसारूढ़ा माँ के एक हाथ में ज्ञान के पुस्तक से संपूर्ण लोक ज्ञानोदय से आनंदित हो रहा है तो दूसरे हाथ में वीणा के संगीत से प्रकृति का कण कण स्पंदित हो रहा है।
ज्ञान के रूप में प्रत्येक प्राणी के बुद्धि विवेक और प्रज्ञा में और वाणी के रूप में मां सरस्वती पूरी प्रकृति के स्वर, ताल और संगीत में विराजमान हैं। पंचांग के अनुसार इस दिन को निर्विघ्न माना गया है, यही कारण है कि बसंत पंचमी, श्री पंचमी, सरस्वती पूजा के दिन किसी भी नए कार्य को शुरू करने के लिए बहुत ही शुभ दिन माना जाता है।