सोनल मंजू श्री ओमर
राजकोट, गुजरात
हिंदू पंचांग के अनुसार, हनुमान जयंती हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को यानी की आज मनाई जाती है। माना जाता कि हनुमान जी का अवतार दिवस मंगलवार ही था। इसीलिए मंगलवार को हनुमान जी का दिन माना जाता है। इस तिथि के अलावा कई जगहों पर यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भी मनाई जाती है। मान्यतानुसार, हनुमानजी को भगवान शिव का अंशावतार माना जाता है। जिस प्रकार राम जी को भगवान विष्णु का अंशावतार माना जाता है। राम जी का अवतरण चैत्र शुक्ल पक्ष नवमी को और हनुमान जी का अवतरण एक सप्ताह बाद चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पिता केसरी व माता अंजनी के घर हुआ था। शास्त्रों के अनुसार, आज भी पृथ्वी पर हनुमान जी वास करते हैं। यह कहा जाता है कि हनुमान जी को चिरंजीवी का आशीर्वाद प्राप्त है।
हनुमान जयंती पर लोग सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए पूजा-अर्चना के साथ ही हनुमान चालीसा व रामायण के सुंदरकांड का पाठ करते है। मान्यता हैं कि सुंदरकाण्ड के पाठ से हनुमानजी प्रसन्न होते हैं। सुंदरकाण्ड के पाठ में बजरंगबली की कृपा बहुत ही जल्द प्राप्त हो जाती है।
वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकाण्ड की कथा सबसे अलग है। हनुमानजी, सीताजी की खोज में लंका गए थे और लंका त्रिकुटांचल पर्वत पर बसी हुई थी। त्रिकुटांचल पर्वत यानी यहां 3 पर्वत थे। पहला सुबैल पर्वत, जहां के मैदान में युद्ध हुआ था।
दुसरा नील पर्वत, जहां राक्षसों के महल बसे हुए थे। तीसरे पर्वत का नाम है सुंदर पर्वत, जहां अशोक वाटिका निर्मित थी। इसी वाटिका में हनुमानजी और सीताजी की भेंट हुई थी। इस काण्ड की सबसे प्रमुख घटना यहीं हुई थी, इसलिए इसका नाम सुंदरकाण्ड रखा गया। संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरूषार्थ को दर्शाती है, सुंदरकाण्ड एक मात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का काण्ड है।
मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला काण्ड है, सुंदरकाण्ड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है, किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है। राम चरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी के अनुसार हर तरह की समस्या से निजात पाने के लिए सुंदरकांड के पाठ से बेहतर कोई उपाय नहीं है। शास्त्रों के अनुसार जीवन में आने वाला हर बड़े से बड़ा संकट हनुमान जयंती पर सुंदरकांड का पाठ करने से टाला जा सकता है। कहा जाता है इस शक्तिशाली पाठ के आगे हर संकट अपने घुटने टेक देता है।