सनातन संस्कृति में माघ मास का विशेष महत्व है और शास्त्रों के अनुसार माघ मास में गंगा नदी सहित पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत ही पुण्यदायी और शुभ माना गया है। माघ मास में दान-दक्षिणा और उपवास करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। माघ मास में सूर्य को अर्घ्य देने और भगवान श्रीहरि विष्णु की आराधना करने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
हिन्दू पंचांग में महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित होते हैं और महीनों का बदलना चन्द्र चक्र पर निर्भर करता है। चन्द्रमा जिस नक्षत्र में होता है, उसी के अनुसार महीने का नाम भी उसी नक्षत्र पर रखा गया है। माघ मास की पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा मघा और अश्लेषा नक्षत्र में रहता है, इसलिए इस माह को माघ मास कहा जाता है।
सनातन धर्मावलंबियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माघ मास का आरंभ हिन्दू पंचांग के अनुसार मंगलवार 14 जनवरी 2025 मकर संक्रांति के दिन से होगा और समापन बुधवार 12 फरवरी 2025 को होगा। सनातन धर्मावलंबियों द्वारा मान्य विक्रम संवत में माघ मास ग्यारवां महीना होता है। माघ मास की अमावस्या यानि मौनी अमावस्या बुधवार 29 जनवरी 2025 को और माघी पूर्णिमा बुधवार 12 फरवरी 2025 को पड़ेगी। इसके अलावा मंगलवार 14 जनवरी को मकर संक्रांति तथा रविवार 2 फरवरी को वसंत पंचमी पड़ेगी। वहीं माघ गुप्त नवरात्रि का आरंभ गुरुवार 30 जनवरी 2025 से होगा और समापन शुक्रवार 7 फरवरी 2025 को होगा।
मकर संक्रांति का महापुण्य काल मुहूर्त सुबह 9.03 बजे से शाम 5.46 बजे तक रहेगा। पुराणों और शास्त्रों में मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व बताया गया है।
माघ मास 2025 के प्रमुख व्रत-त्यौहार
मंगलवार 14 जनवरी- मकर संक्रांति, पोंगल
शुक्रवार 17 जनवरी- सकट चौथ, लम्बोदर संकष्टी चतुर्थी
शनिवार 25 जनवरी- षटतिला एकादशी
सोमवार 27 जनवरी- प्रदोष व्रत
बुधवार 29 जनवरी- मौनी अमावस्या, माघ अमावस्या
गुरुवार 30 जनवरी- माघ गुप्त नवरात्रि आरंभ
रविवार 2 फरवरी- वसंत पंचमी
मंगलवार 4 फरवरी- रथ सप्तमी
बुधवार 5 फरवरी- भीष्म अष्टमी
शनिवार 8 फरवरी- जया एकादशी
रविवार 9 फरवरी- प्रदोष व्रत
बुधवार 12 फरवरी- माघ पूर्णिमा, कुंभ संक्रांति