शिव का अर्थ होता है कल्याणकारी और भगवान शिव सबकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। महाशिवरात्रि भगवान शिव के पूजन और आराधना का विशेष दिन होता है। ऐसी मान्यता है कि भोलेनाथ शिव का सच्चे मन से स्मरण करो तो भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। उनका पूजन भी बहुत सरल होता है, केवल जलाभिषेक, बिल्वपत्रों को चढ़ाने और रात्रि भर जागरण करने मात्र से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं।
फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस बार महाशिवरात्रि शनिवार 18 फरवरी के दिन मनाई जाएगी। इस दिन शिव की आराधना करने और उपवास रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होगी। पौराणिक मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं, जिससे उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है।
शिवपुराण में रात्रि के चारों प्रहर में शिव पूजा का विधान है। उपवास रखने वाले को फल, फूल, चंदन, बिल्व पत्र, धतूरा, धूप व दीप से रात के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए, साथ ही भोग भी लगाना चाहिए। इसके साथ ही दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अलग-अलग तथा सबको एक साथ मिलाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराकर जल से अभिषेक करें। चारों प्रहर की पूजा में शिवपंचाक्षर मंत्र यानी ॐ नम: शिवाय का जाप करें। अगले दिन प्रातः नहाकर भगवान शिव की पूजा करने के बाद व्रत का समापन करना चाहिए।
महाशिवरात्रि पूजा मुहूर्त 2023
हिंदू पंचांग के अनुसार शनिवार 18 फरवरी 2023 के दिन महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाएगा।
निशिता काल पूजा: 19 फरवरी को तड़के 12:16 से 1:06 तक रहेगा।
निशिता काल पूजा की जो समय अवधि 50 मिनट रहेगी।
महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त: 19 फरवरी, रविवार प्रातः 06:57 मिनट से दोपहर 03: 33 मिनट तक
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय: 18 फरवरी सायं 06: 30 मिनट से रात्रि 09:35 मिनट तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय: 18 फरवरी रात्रि 09:35 मिनट से तड़के 12:39 मिनट तक
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय: 19 फरवरी, रविवार, तड़के 12:39 मिनट से 03:43 मिनट तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समय: 19 फरवरी, रविवार, प्रातः 3:43 मिनट से 06:47 मिनट तक
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि पर विशेष संयोग बनने वाला है। इस बार पूरे 30 साल बाद शनि देव कुंभ राशि में विचरण कर रहे हैं। 13 फरवरी 2023 को सूर्य भी कुंभ राशि में प्रवेश कर जाएंगे। ऐसा होने पर शनि-सूर्य महाशिवरात्रि पर कुंभ राशि में साथ-साथ रहेंगे। शुक्र ग्रह अपनी उच्च राशि मीन में विराजमान होंगे, इस बार महाशिवरात्रि पर शनि प्रदोष व्रत भी है। ऐसे में इस बार शनि प्रदोष व्रत का अत्यंत दुर्लभ संयोग बन रहा है। इसके साथ ही इस दिन शाम 5:41 बजे से सर्वाथ सिद्धि योग भी है। साथ इस दिन वाशी योग, सुनफा योग, शंख योग का संयोग बन रहा है।