मकर संक्रांति यानि सूर्य देव की उपासना का महापर्व, सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं। मकर संक्रांति को देश के विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जो भी हो मकर संक्रांति का पर्व उमंग, हर्ष, उत्साह और हमारी संस्कृति का प्रतीक है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। इससे रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। वहीं इस दिन से मांगलिक और शुभ कार्य भी शुरू हो जाते हैं।
इस बार मकर संक्रांति रविवार 15 जनवरी को है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सूर्यदेव शनिवार 14 जनवरी 2023 की रात 8:21 बजे मकर राशि में प्रवेश करेंगे। जिसके चलते उदया तिथि रविवार 15 जनवरी को प्राप्त हो रही है, इसलिए मकर संक्रांति रविवार 15 जनवरी 2023 को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार 14 जनवरी के दिन रेवती नक्षत्र है और 15 जनवरी यानि मकर सक्रांति पर सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृतसिद्धि योग व राजपद योग का अत्यंत शुभ संयोग बन रहा है।
मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी को सुबह 7:17 बजे से शाम 5:55 बजे तक रहेगा, वहीं मकर संक्रांति का महा पुण्य काल 15 जनवरी को सुबह 7:17 बजे से सुबह 9:04 बजे तक रहेगा। मकर संक्रांति के दिन पुण्य काल और महा पुण्य काल का खास महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पुण्य काल और महा पुण्य काल में पवित्र नदियों में स्नान और दान करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सूर्य देव की कृपा भी प्राप्त होती है।
मकर संक्रांति के दिन नदियों, सरोवरों तथा समुद्र के किनारे मेले-मढ़ई का आयोजन होता है। लोग पवित्र स्नान कर सूर्य देव को अर्ध्य अर्पित कर सूर्योपासना करता हैं और खिचड़ी और तिल के व्यंजनों का सेवन करते हैं। इस दिन विभिन्न स्थानों में पतंग महोत्सव भी मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है। इस दिन दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू विशेष रूप से लोगों को दिए जाते हैं।