मकर संक्रांति का पर्व सनातन धर्मावलंबियों का प्रमुख त्यौहार है, मुख्य रूप से भगवान सूर्य को समर्पित इस त्यौहार के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति का पर्व संपूर्ण भारत में मनाया जाता है। मकर संक्रांति यानि भगवान सूर्य की उपासना का महापर्व, भगवान सूर्य जब धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं।
मकर संक्रांति को देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, यथा- उत्तर भारत, मध्य प्रदेश में मकर संक्रांति, तमिलनाडु में पोंगल, असम में माघ बिहू, गुजरात-राजस्थान में उत्तरायण, पंजाब-हरियाणा में लोहड़ी, कश्मीर में शिशुर सेंक्रांत, महाराष्ट्र में हल्दी-कुमकुम पर्व आदि।
मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। इससे रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। वहीं मकर संक्रांति के दिन से मांगलिक और शुभ कार्य भी आरंभ हो जाते हैं। सनातन मान्यता है कि इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं, इसलिए मकर संक्रांति का पर्व पिता-पुत्र के मिलन से भी सम्बंधित है। मकर संक्रांति के दिन तीर्थ स्थानों पर पवित्र स्नान करने का भी अत्यंत महत्व है।
श्रीभगवद् गीता के आठवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि उत्तरायण के छह माह के दौरान देह त्यागने से ब्रह्म गति प्राप्त होती हैं, जबकि दक्षिणायन के छह महीने में देह त्यागने वाले मनुष्य को संसार में पुनः जन्म-मृत्यु के चक्र की प्राप्ति होती हैं।
सनातन पंचांग के अनुसार वर्ष 2024 में सूर्य 15 जनवरी 2024 को तड़के प्रात: 2:54 बजे धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। 15 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति का पुण्यकाल मुहूर्त सुबह 7:15 बजे से शाम 5.46 बजे तक रहेगा, वहीं मकर संक्रान्ति का महा पुण्यकाल 15 जनवरी 2024 को सुबह 7:15 बजे से सुबह 9 बजे तक रहेगा।