सनातन संस्कृति में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। सनातन पंचांग के अनुसार वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं और हर एकादशी का अपना एक विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाता है। मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है और व्रत रखा जाता है।
मोक्षदा एकादशी का अर्थ है मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी। मोक्षदा एकादशी के उपवास से उत्तम और मोक्ष प्रदान करने वाला कोई भी दूसरा व्रत नहीं है। मोक्षदा एकादशी का उपवास करने वाले मनुष्य का ही नहीं, अपितु उसके पितरों का भी भला होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा आदि करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और इस जन्म के सभी पापों का नाश होता है।
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही भगवान श्रीकृष्ण ने अजुर्न को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए मोक्षदा एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है, इसलिए इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।
सनातन पंचांग के अनुसार इस वर्ष 2023 की अंतिम मोक्षदा एकादशी 22 और 23 दिसंबर दो दिन मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी तिथि की शुक्रवार 22 दिसंबर 2023 को सुबह 8.16 बजे से शुरू होगी और समापन शनिवार 23 दिसंबर 2023 को सुबह 7.11 बजे होगा। उदयातिथि के अनुसार जब एकादशी तिथि दो दिन पड़ रही हो तो ऐसे में गृहस्थ को पहले दिन शुक्रवार 22 दिसंबर को एकादशी व्रत करना चाहिए। वहीं वैष्णव संप्रदाय के लोग और साधु-संत मोक्षदा एकादशी का व्रत शनिवार 23 दिसंबर को करेंगे।
शुक्रवार 22 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी का व्रत करने वाले लोग 23 दिसंबर को दोपहर 1.22 बजे से दोपहर 3.25 बजे के बीच व्रत पारण कर लें। वहीं शनिवार 23 दिसंबर को व्रत करने वाले वैष्णव संप्रदाय के लोग 24 दिसंबर 2023 को सुबह 7.10 बजे से सुबह 9.14 बजे के बीच मोक्षदा एकादशी का व्रत पारण कर सकते हैं।