सूर्यदेव को समर्पित पौष मास का भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है। पौष मास में भगवान श्री हरि विष्णु एवं सूर्यदेव की आराधना के साथ ही पौष मास में पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण करना शुभ माना जाता है।
पौष मास की अमावस्या विशेष लाभदायी और शुभ मानी जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। साथ ही इस दिन शिवलिंग का अभिषेक करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। अमावस्या के दिन निर्धनों व जरूतमंदों को दान-दक्षिणा देने से पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन स्नान-दान करने से पितरों पर आए संकट दूर हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ऐसी मान्यता है कि पौष मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ होता है। यदि आपके लिए नदी में स्नान करना संभव न हो तो घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और स्नान के बाद सूर्य देव को अर्ध्य दें तथा इसके बाद पितरों का जल से तर्पण करें।
मान्यता ही कि इस दिन पितर पृथ्वी पर आते हैं और अपनी संतान से तर्पण, श्राद्ध, दान आदि की अपेक्षा रखते हैं। अगर आपके पितर आपसे कुपित हैं तो आपको पौष अमावस्या के दिन तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान आदि अवश्य करना चाहिए। इस दिन पंचबलि कर्म करने, यानि ब्राह्मण, गाय, कौआ, पक्षी आदि को भोजन कराने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष पौष अमावस्या की तिथि सोमवार 30 दिसंबर 2024 को है। पौष अमावस्या तिथि का आरंभ सोमवार 30 दिसंबर 2024 को तड़के 4:01 (AM) बजे होगा और अमावस्या तिथि का समापन मंगलवार 31 दिसंबर 2024 को तड़के 3:56 (AM) बजे होगा। इस बार पौष अमावस्या सोमवार को पड़ रही है, इसलिए इसे सोमवती अमावस्या के रूप में भी मनाया जायेगा। पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या के सभी दिन श्राद्ध की रस्मों को करने के लिए उपयुक्त हैं। कालसर्प दोष निवारण की पूजा करने के लिए भी अमावस्या का दिन उपयुक्त होता है।
पौष अमावस्या के दिन सुबह के समय स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के पात्र में शुद्ध जल, लाल चंदन और लाल रंग के पुष्प डालकर अर्घ्य दें। पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और उपवास करें। जरूतमंदों को दान-दक्षिणा दें और शाम के समय पीपल के वृक्ष में दीपक जरूर जलाकर रखें। इस दिन तुलसी के पौधे की परिक्रमा करनी चाहिए।