रुक्मणी अष्टमी पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। सनातन मान्यता है कि रुक्मणी जी का जन्म पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था।
भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में जब जन्म लिया था, तब माता लक्ष्मी ने रुक्मणी और राधा के रूप में जन्म लिया था। रुक्मणी जी के रूप में माता लक्ष्मी का जन्म इसी तिथि में हुआ था।
इस वर्ष पौष मास 2024 में रुक्मिणी अष्टमी गुरुवार 4 जनवरी को है। कृष्ण के भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और यह मानते हैं की रुक्मणी अष्टमी के दिन व्रत रखने से उनके धन-धान्य में वृद्धि होगी।
सनातन पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि बुधवार 3 जनवरी 2024 को रात 7:48 बजे से आरंभ होगी और अगले दिन गुरुवार 4 जनवरी 2024 को रात 10:04 बजे अष्टमी तिथि का समापन होगा। इस दिन स्त्रियां प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवान सत्यनारायण, पीपल के वृक्ष और तुलसी के पौधे को जल अर्पण करती हैं।
इस दिन स्त्रियां सायंकाल गाय के घी का दीपक जलती हैं। कपूर से आरती करती हैं और पूजा आरती के बाद फलाहार ग्रहण करती हैं। रात जागरण करती हैं रुक्मणी जी की कहानी का श्रवण करती हैं।
भगवान श्री कृष्ण के मंत्रों का पाठ कर अगले दिन नवमी को ब्राह्मणों को भोजन करा करके व्रत पूर्ण किया जाता है। उसके बाद स्वयं खाना खाया जाता है।
रुक्मणी अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ देवी रुक्मणी की पूजा करने से जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं।