सनातन संस्कृति में भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार यूं तो वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं और हर एकादशी का अपना एक विशेष महत्व है। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी की तिथि को कामिका एकादशी कहते हैं।
पौराणिक मान्यता है कि कामिका एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु के पूजन-अर्चन से भक्त के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है। इस दिन पूजा के दौरान पीले वस्त्र, पीले कपड़ों से ढकी चौकी, पीले फूल और यथा संभव पीले रंग की ही पूजन सामग्री का उपयोग करने से भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कामिका एकादशी व्रत के दिन पीले रंग का विशेष महत्व होता है।
पंचांग के अनुसार श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ शनिवार 23 जुलाई को सुबह 11:27 बजे हो रहा है और एकादशी तिथि का समापन रविवार 24 जुलाई को दोपहर 1:45 बजे होगा। ऐसे में उदयातिथि की मान्यतानुसार कामिका एकादशी का व्रत 24 जुलाई को रखा जाएगा।
रविवार 24 जुलाई को कामिका एकादशी तिथि पर प्रात:काल से वृद्धि योग है, जो दोपहर 2:02 बजे तक रहेगा। उसके बाद से ध्रुव योग लग जाएगा.। इस दिन द्विपुष्कर योग रात 10 बजे से अगले दिन की सुबह 5:38 बजे तक है। रोहिणी नक्षत्र रात 10 बजे तक है और उसके बाद से मृगशिरा नक्षत्र होगा। इस दिन का शुभ समय या अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजे से लेकर दोपहर 12:55 बजे तक है।
एकादशी तिथि एक दिन राहुकाल का समय शाम 5:35 बजे से शाम 7:17 बजे तक है। राहुकाल में शुभ कार्य नहीं किए जाते। वहीं रविवार 24 जुलाई को कामिका एकादशी व्रत रखने वाले सोमवार 25 जुलाई को प्रात: सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करेंगे। पारण करने का समय सुबह 5:38 बजे से सुबह 8:22 आज तक है।