कुछ लोगों ने मुझसे कहा कि गुरुजी आजकल बागेश्वर धाम वाले पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का नाम बहुत तेजी से चर्चा में है। उनके दिव्य दरबार में बहुत सारे लोग आते हैं और उन्हें अपनी इच्छाओं और कष्टों के बारे में बताते हैं। इनमें से कुछ लोग यह भी पूछते हैं कि उनका विवाह कब होगा। इस पर महाराज जी ने एक भक्त से कहा तुम तो दो शादियां कर चुके हो मेरी तो एक भी नहीं हो रही है आदि आदि। आप बताएं कि महाराज जी का विवाह कब होगा।
मैंने आप लोगों द्वारा प्राप्त प्रश्न की प्रश्न कुंडली बनाई। आश्चर्य यह हुआ कि इस प्रश्न कुंडली में महाराज जी के विवाह के योग का समय चल रहा था। जिसके उपरांत मैंने दूसरे व्यक्ति के प्रश्न को लेकर दूसरी प्रश्न कुंडली बनाई। दोनों प्रश्न कुंडलियों का जवाब एक जैसा ही था। मुझे काफी आश्चर्य हुआ। फिर मैंने स्वयं ही प्रश्न पूछ कर तीसरी प्रश्न कुंडली बनाई। मेरा प्रश्न था की पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का विवाह क्यों नहीं हो पा रहा है।
इस तीसरी प्रश्न कुंडली से जवाब प्राप्त हुआ कि अभी महाराज जी को विवाह करने की अनुमति प्राप्त नहीं हुई है। स्पष्ट है कि महाराज जी को अनुमति प्राप्त ना होने के कारण अभी वह विवाह नहीं कर सकते हैं। यह अनुमति संभवत उनके पिताजी या उनके दादा गुरु जी या सन्यासी बाबा या सीधे हनुमान जी से ही प्राप्त होनी होगी।
अब प्रश्न उठता है कि उनको यह अनुमति कब प्राप्त होगी?
यह प्रश्न कुंडली कन्या लग्न की बनी है जिस के दसवें भाव में मित्र राशि में शुक्र तथा मंगल है। सूर्य अष्टम भाव में राहु के साथ उच्च का होकर विराजमान है। उच्च के सूर्य का अष्टम भाव में विराजमान होना यह बताता है कि अभी महाराज जी को उनके बड़े लोगों से विवाह की अनुमति प्राप्त नहीं हुई है। पिता के घर अर्थात दसवें भाव में शत्रु राशि में विराजमान मंगल के कारण अनुमति प्राप्त होने में देरी हो रही है। इसी भाव में मित्र राशि में शुक्र विराजमान हैं जो कि अपने दशा अंतर्दशा दशा में विवाह की अनुमति का योग बनाएंगे।
25 दिसंबर 2024 से इस कुंडली में राहु की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा में शुक्र का प्रत्यंतर प्रारंभ हो रहा है जो कि 18 फरवरी 2025 तक रहेगा। सूर्य इस प्रश्न कुंडली के नवांश कुंडली में नीच का होकर सप्तम भाव में बैठा हुआ है। जिसके कारण इस समय अनुमति प्राप्त होने की उम्मीद कम है। इसके उपरांत 23 अप्रैल 2026 से राहु की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा में शुक्र का प्रत्यंतर प्रारंभ हो रहा है इस बात की संभावना है इस समय उनको विवाह की अनुमति प्राप्त हो जाए। हम यह भी जानते हैं कि विवाह के कार्यक्रम में राहु बाधा उत्पन्न करता है, परंतु अगर हनुमान जी ने अनुमति दे दी तो राहु की बाधा समाप्त हो जाएगी।
पहली प्रश्न कुंडली भी कन्या लग्न की बनी है। इस कुंडली के एकादश भाव में उच्च का गुरु 18 अक्टूबर 2025 से लेकर 31 अक्टूबर 2026 तक रहेगा। यहां से गुरु की दृष्टि सप्तम भाव पर स्वयं की राशि पर रहेगी जो कि विवाह का एक उत्तम संयोग बनाएगी। इसी कुंडली में शुक्र की महादशा में सूर्य की अंतर में शुक्र का प्रत्यंतर 15 जुलाई 2026 से प्रारंभ हो रहा है तथा इसके उपरांत शुक्र की महादशा में चंद्रमा के अंतर्दशा में चंद्रमा का प्रत्यंतर 4 नवंबर 2026 तक रहेगा। इस कुंडली के अनुसार उनका विवाह 15 जुलाई 2026 से 31 अक्टूबर 2026 के बीच में राहु को शांत करके हो जाना चाहिए।