Wednesday, May 1, 2024
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Saphala Ekadashi 2022: बेहद शुभ लक्ष्‍मी नारायण योग, बुधादित्‍य योग और त्रिग्रही योग में रखा जायेगा सफला एकादशी का व्रत

सनातन संस्कृति में भगवान विष्णु की आराधना के लिए एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में 24 एकादशियां आती हैं और हर एकादशी का अपना एक विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार पौष महीने के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी तिथि को सफला एकादशी का व्रत रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, सफला एकादशी का व्रत करने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान विष्‍णु की कृपा से जीवन में अपार सुख-समृद्धि आती है। इस बार सफला एकादशी सोमवार 19 दिसंबर 2022 को पड़ रही है और इस दिन तीन बेहद शुभ योग बनने का अद्भुत संयोग बन रहा है।

पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि सोमवार 19 दिसंबर को तड़के 3:32 बजे से प्रारंभ हो रही है और यह तिथि अगले दिन मंगलवार 20 दिसंबर को तड़के 2:32 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के आधार पर सफला एकादशी व्रत 19 दिसंबर को रखा जाएगा। एकादशी के दिन सुबह 7:09 बजे से सुबह 8:26 बजे के मध्य अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं। इसके अलावा सुबह 9:43 बजे से सुबह 11:01 बजे के मध्य भी सफला एकादशी व्रत की पूजा कर सकते हैं, इस समय में शुभ उत्तम मुहूर्त रहेगा। वहीं अगले दिन मंगलवार 20 दिसंबर को पारण का समय सुबह 8:05 बजे से लेकर सुबह 9:13 बजे तक है। इस दिन हरि वासर सुबह 8:05 बजे समाप्त हो जाएगा।

पंचांग के अनुसार सफला एकादशी के दिन तीन बेहद शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन बुध, शुक्र और शनि ग्रह मिलकर लक्ष्‍मी नारायण योग, बुधादित्‍य योग और त्रिग्रही योग बना रहे हैं। इन तीनों शुभ योगों को वैदिक ज्‍योतिष में बेहद शुभ माना गया है। इस दिन किए गए उपाय तेजी से फल देते हैं।

सफला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान व ध्यान करके व्रत करने का संकल्प किया जाता है और विधि विधान के साथ भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। एकादशी व्रत से एक दिन पहले दशमी की रात को तामसिक भोजन न करें। शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु का दक्षिणावर्ती शंख में दूल और केसर मिलाकर अभिषेक करें। चंदन से भगवान श्रीहरि को तिलक लगाएं और वस्त्र, फूल, सुपारी, नारियल, फल, लौंग, अक्षत, मिठाई, धूप, अर्पित करें। दूध, दही, घी, शहद और मिश्री मिलाकर पंचामृत बनाएं और तुलसी के साथ भोग लगाएं। एकादशी की कथा पढ़े और श्रीहरि विष्णु का स्मरण करें। भगवान विष्‍णु और माता लक्ष्‍मी की विधि-विधान से पूजा करें। किसी गरीब को सामर्थ्‍य अनुसार दान करें। शाम को पूजा स्थान पर घी का चौमुखी दीपक जलाएं।

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