धधक रहा प्रचंड अग्नि-अन्तस्, अब निश्चित रण होगा
शांति और अहिंसा तज दूँ अगर,तब विकट क्षण होगा
अरे कायरों, छद्म युद्ध धर्म तुम्हारा नराधमी कहलाओगे
मारे जाओगे मेरे ही हाथों, बस साथ तुम्हारे कफ़न होगा
मत ललकारो रण बाँकुड़े हम जीवन की परवाह नहीं
यदि धैर्य हमारा चुका तब पाकिस्तान तेरा पतन होगा
आतंकी तुम भाषा बोलो निर्दोषों के लहू से होली खेलो
धिक्कार है नरभक्षी भेड़िये मिट जाना तेरा करम होगा
हम अमन के रखवाले धर्म-ध्वजा फहराते सम्पूर्ण धरा
दोगले की जमात तेरी विनष्ट करने हेतु युद्ध सघन होगा
-चंद्र विजय प्रसाद चन्दन
देवघर, झारखण्ड