अभी भी फूलों से
आती है सुगन्ध
अभी भी संगीत पर
थिरकते हैं पांव
अपने नवजात शिशुओं को
घोसलों में अकेला छोड़
अभी भी चिड़िया
निकलती हैं चुगने दाना
परदेस गये लोगों का अभी भी
करते हैं इंतजार परिवार में
बुज़ुर्ग अभी भी
किसी भटके हुए राहगीर को
दिखाते हैं रास्ता
अभी भी प्रेम में
की गई हल्की-सी शरारत पर
कोई बोल सकता है
धत! बुद्धू कहीं के
मेह में भीगते हुए
किसी अजनबी को देख
अभी भी लोग
खोल देते हैं किवाड़
बेहिचक दे देते हैं
लत्ते-कपड़े और चप्पल
खिला देते हैं
पेट भर खाना अभी भी
बहुत सारी नयी-नयी चीजें
ले रही हैं जन्म अभी भी
अभी भी दुनिया में
बचा है बहुत कुछ सुंदर
और वह बचा रहेगा तब तक
जब तक बचा रहेगा
पृथ्वी पर एक भी आदमी शेष
-जसवीर त्यागी