इस कदर मुस्करा आईना देखकर
आईना खिल उठे आशना देखकर
ख्याल आया मुझे ए मिरी जिंदगी
देख मत मुस्करा-मुस्करा देखकर
नूर की बूँद में भी चहकती फिज़ा
आब-ए-आयना आसमाँ देखकर
हर कदम मिल रही इस जहां में ख़ुशी
चाक पर रक़्स है आशिमा देखकर
आब ए तल्ख़ क्यों हो मिरे हाल पर
क्यों परेशां हुये आरिजा देखकर
आरजू के मुताबिक बसा आशियाँ
मीत होती ख़ुशी आस्तां देखकर
-डॉ उमेश कुमार राठी