आपकी खूबसूरती
चाँदनी ने क्या कहा
देखकर तुमको भोर में
रात की किस नदी में नहाया
देर तक सोचता
शाम की ओट में
झिलमिल खड़ा सूरज
उसी झरने की धवल धार में
भीगती रात हँसकर
धूप भरा मन जाग जाता
दूर से सागर किनारे पास आता
तुम पहाड़ की ओट में
बहती नदी हो
-राजीव कुमार झा