दौड़ती-भागती जिंदगी ने कहा
तुमने बहुत दौड़ाया मुझे
अब तुम थोड़ा विश्राम करो
दिए थे जो ज़ख़्म कई
उन पर मलहम कई बार मलो
जिंदगी का सफर ही ठहरा है
पर जिंदगी तो चल ही रही है
चलो छोड़ो चिंता शांत रहो
मिलेंगी खुशियां तुम्हें, ठहरो
कुछ तो भरपाई करो
कुदरत के साथ हुई मनमानी
ना जाने कितनी इंसानी
अब उसका कहर बड़ा भारी है
दुःख का सैलाब जारी है
अब भी तो आभार व्यक्त करो
-सुजाता प्रसाद