धर्म जाति की बात को छोड़,
इन्सानियत की बात कर
फिरका परस्ती ले डूबेगी,
यक्सानियत की बात कर
मंदिर मस्जिद की बात को छोड़,
रोटी कपड़े की बात कर
नफ़रत हिंसा से क्या हुआ हासिल?
तू प्यार मोहब्बत की बात कर
अंधे बहरे खुदा को छोड़,
तू सही गलत की बात कर
भूख प्यास से मर रहे है कितने,
कुछ उनके दुख दर्द की बात कर
-डॉ एस शेख