किसी ने मुझसे पूछा-
तुम इतने व्यस्त होते हुए भी, इतने पोस्ट करने के लिए, टाईम कैसे निकाल लेते हो? कितने पैसे मिलते हैं? तुम्हें इन पोस्ट के लिए? क्यों इतने पोस्ट डालते हो? क्या मिलता है तुम्हें?
दोस्तों, बस उन लोगों से में सिर्फ इतना ही कह पाता हूँ कि, रिश्तों को कीमत देना सीखो, वक़्त अपने आप मिल जायेगा। अगर कुछ लोगों की लाईफ में थोड़ा सा भी सकारात्मक बदलाव और लोगों की सोच को बदल सकूँ, लगेगा जीवन सार्थक हो गया, थोड़ा भी लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर सकूं, उनकी जिदंगी को एक तर्क संगत परिणाम तक पहुंचा सकूं, दिल को बहुत सकून प्राप्त होगा, उनकी जिदंगी में खुशियां प्रदान कर पाया, तो अपने आप को इस दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान समझूंगा।
दोस्तों मेरा अनुभव कहता है कि किसी के चेहरे की मुस्कान तो बन कर देखिये, एक हसीन और सुखद एहसास होगा। और दिन प्रतिदिन आपके चेहरे की चमक दोगुनी हो जायेगी, यकीन मानिये जो एक मंहगी से मंहगी फेयरनेस क्रीम से भी नहीं आयेगी, बहुत सम्भाल के लिखना पड़ता है, जज़्बात-ए-ज़ेहन को,
वरना स्याही पे नहीं, गहराई पे सवाल होता है। तुम्हें जीत कर फिर तुम्हीं से हार जाना, यही तो रवायत है, रिश्ता निभाने की। दो लाइनें जिनमें बड़ी गहराई है,
कुछ रिश्ते हैं, इसलिए चुप हैं,
कुछ चुप हैं, इसलिए रिश्ते हैं।
-सुनील माहेश्वरी
मोटीवेशनल लेखक/ब्लाॅगर