खड़े हमराह बन के- डॉ उमेश कुमार राठी

खुशी का आईना देखो मधुर मुस्कान दे दो अब
खड़े हमराह बन के गम उन्हें अवसान दे दो अब

करो नित जागरण सुख में भुलाओ आवरण दुख का
खुले रखिये नयन पल्लव हृदय अवदान दे दो अब

जरा सी भी हिफाज़त से चमन गुलज़ार होता है
महकते फूल के मकरंद को अवधान दे दो अब

मने दीपावली उस दिन जले जब प्यार का दीपक
शिखा जलती रहेगी पर सरस दिनमान दे दो अब

बिसारो फालतू चिंता खिला दंतावली मुक्ता
करो तदबीर हौले से हँसी अरमान दे दो अब

करो मत मर्म का अर्पण तको मत दर्प का दर्पण
भुला दो संवरण इनका हिया को ज्ञान दे दो अब

समर्पण हो अगर मन में जरूरत क्या तपोवन की
खुशी दो ‘मीत’ को मीठी, उसे सम्मान दे दो अब

-डॉ उमेश कुमार राठी