गर पता होता कि तुम
शौकीन-ए-शब्द हो,
तो हम हुस्न-ए-किताब बन जाते
पढ़ लेते तुम हमें,
तो तेरी आखों की नींद बन जाते
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कुछ अरमान अभी बाकी हैं,
आँखों में बंद ख्वाब खोलने अभी बाकी है
संग मेरे दफन ना हो जाए,
तमन्नाओं की कलम,
मेरी अधूरी कहानी का लिखना अभी बाकी है
-शैली अग्रवाल