साहित्य चाँद- शैली अग्रवाल By लोकेश नशीने - March 30, 2020 WhatsAppFacebookTwitterTelegramCopy URL रात का समां और आकाश बना काला शामियाना, उस पर झिलमिल करते तारे ठंडी-ठंडी लहराती हवाएं और सर-सर-सर गीत गाते पेड़ सारे मानो आज तो चाँद बारात लेके निकला है, अपनी चांदनी के द्वारे -शैली अग्रवाल