चूमकर लबों से- शैली अग्रवाल

कुछ अरमान अभी बाकी है,
आँखों में बंद ख्वाब,
खोलना अभी बाकी है
संग मेरे दफ़्न न हो जाए,
तमन्नाओं की कलम,
मेरी अधूरी कहानी का,
लिखना अभी बाकी है

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गुलाब को गुलाब भेजा है,
खुशबू से अपनी महका देना,
सूख जाए ये अगर,
चूमकर लबों से फिर खिला देना

-शैली अग्रवाल