साहित्य जिदंगी के कोने- ममता रथ By लोकेश नशीने - April 29, 2020 WhatsAppFacebookTwitterTelegramCopy URL काश जिदंगी के चार कोने होते तो चारों को पकड़कर मैं एक गठरी बना लेती, पर ज़िन्दगी के तो असंख्य कोने हैं कोई ना कोई हाथ से छूट जाता है या छोड़ना पडता है, किसी कोने को ताकि मिल सके, मुट्ठी भर सुख -ममता रथ