क्या सिर्फ हमारी आँखें सुंदर हैं
यह सुनकर तुमने कहा-
इस सुंदरता को जिन आँखों से
रात दिन निहारा है
वे सचमुच सबसे सुंदर
कही जा सकती हैं
तुम्हारा मन असीम सागर की तरह है
सुबह धरती पर किरनें जब आती हैं
समुद्र हँसता सबके करीब
आ जाता है
देखो आकाश
कितनी दूर तक फैला है
इस अनंत को हम
सुबह और शाम को
कितने गौर से
साथ साथ देखते हैं
-राजीव कुमार झा