एक-एक लम्हें को समेट कर
एक उम्र बन जायेगी,
तुम रहो ना रहो मेरी ज़िंदगी में शामिल
तुम्हारी यादें तो आयेंगी
बहुत कुछ अनकहा रह गया
बहुत कुछ रह गया अनसुना
हर एक वाक्य को पिरों कर
कई बातें बन जायेंगी
टुकड़ों में मिलते रहे हम
टुकड़ों में ही बँटते गये
हर मुलाक़ात को सहेज कर
हमारी मुलाक़ातें हो जायेंगी
तुम रहो ना रहो मेरी ज़िंदगी में शामिल
तुम्हारी यादें तो आयेंगी
-वर्षा श्रीवास्तव
छिंदवाड़ा मप्र