तेरे मुताबिक सब कुछ होता,
तो तू आज कभी न गद्दार होता,
ऊंगली पकड़कर न चलना सिखाता,
तो आज तेरा कोई न उद्धार होता
उसूलों से कर लिए जो समझौते तुमने,
सोचा नहीं कल तेरा क्या हाल होगा,
न दी होती तुझको पहचान उसने,
तो तेरी कोई आज न किरदार होता
रही होगी जो भी शिकायत तेरी,
कोई तो उसका भी समाधान होगा,
मालिक बनकर था अपने घरों पर,
अब तो कहीं का किरायेदार होगा
जयलाल कलेत
रायगढ़ छत्तीसगढ़,