दिल की राहों पे- निधि भार्गव मानवी

चलो ना, दिल की राहों पे
चलकर.. कुछ मासूम से
पल चुनते हैं..
एक तुम चुनों और एक मैं
मिलकर सुनहरे कल बुनते हैं।
तुम्हारे कदमों के निशान ही
अब मंजिल बनेंगे मेरी…
तो आओ ना…मिलकर
आरजुओं के नगर चलते हैं
कितने पावन संदली से
अहसास हैं ये…
डूबकर इन्हें, महसूस करते हैं…
ये सफ़र जिंदगी का
खूबसूरत है.. मानव!
चलो, चलें….
सुंदर सलोने कल बुनते हैं…

-निधि भार्गव मानवी