दोषी कौन- भावना सक्सैना

थक गई हैं उँगलियाँ
मोबाइल से डिलीट करते
ज़हर भरी तस्वीरें
आग, कत्ल और
वहशियत की तदबीरें।

दिन गुज़रते-गुज़रते
तस्वीरें खौफ की
बढ़ती ही जाती हैं
हर नई तस्वीर पहली से
भयावह नज़र आती है।

हैरान हूँ खोजे जा रहे हैं
लाशों पर धर्म के निशां
उन बेआवाज़ तनों में तो
बस मौत की तड़प
सुनी जाती है!

खौफ से फैली आँखों के
पथरा जाने से पहले
टपके होंगे सपने लहू बनकर
कि वो जानती थीं उनके बाद
बिखर जाएगा सारा घर।

छोटे-छोटे कामों को निकले
भरोसा थे किसी के कल का
भेंट चढ़ गए वहशियत की…
इंतज़ार करती आँखों का दर्द
दरिंदों को पिघला नहीं पाता है।

दर्द चेहरे पर, सूखे आँसू
खो ज़िंदगी की पूँजी
राख में बीनती कुछ
उँगलियों को देख
लहू आँखों में उतर आता है।

कौन दोषी है ?
कहीं तुम भी तो नहीं
कि कुत्सित बातें सुन
बीज अविश्वास का
मन में तो पनप जाता है!

-भावना सक्सैना

परिचय-
भावना सक्सैना
जन्म स्थान– नई दिल्ली
प्रमुख कृतियाँ-
-सूरीनाम में हिन्दुस्तानी, भाषा, साहित्य व संस्कृति
-नीली तितली (कहानी संकलन)
संपादन
* सूरीनाम का सृजनात्मक हिंदी साहित्य
* प्रवासी हिंदी साहित्य
* एक बाग के फूल
* अभिलाषा
*हरियाणा साहित्य अकादमी की पत्रिका हरिगंधा का मार्च 2018 महिला विशेषांक
अनुवाद – कलाकारों का जीवन सरनामी (रोमन) से हिंदी
सम्मान– सूरीनाम हिंदी परिषद, सूरीनाम साहित्य मित्र संस्था और ऑर्गेनाइज़ेशन हिंदू मीडिया (OHM), सूरीनाम द्वारा श्रेष्ठ हिंदी सेवाओं और हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए सम्मानित किया गया
हरियाणा साहित्य अकादमी से वर्ष 2014 में कहानी तिलिस्म को प्रथम पुरस्कार प्राप्त।
नवंबर 2008 से जून 2012 तक भारत के राजदूतावास, पारामारिबो, सूरीनाम में अताशे पद पर रहकर हिंदी का प्रचार-प्रसार किया।