भरपूर कोशिश किए हमने
पर माने न रुठे अपने
ऊँचे ख्वाब क्यों देखा हमने
निकले सारे झूठे सपने
बस दिल्लगी ही किए हमने
पर न समझे मेरे अपने
मकसद न थी दरारों की पर
रुठ गये मेरे ही रब अपने
जिन रिश्तों की पूजा किए हमने
बुरे कह गये हमको सब ने
झुठी सच्ची आस पे हमने
दिन गुजारे सारे हमने
भरपूर कोशिश किए हमने
पर माने न रुठे अपने
ऊँचे ख्वाब क्यों देखा हमने
निकले सारे झूठे सपने
-जयलाल कलेत
रायगढ़, छत्तीसगढ़